1947 से अब तक भारत की 14 ट्रिलियन डॉलर की निवेश यात्रा: आधे से ज्यादा निवेश पिछले दशक में

Edited By Mahima,Updated: 25 Nov, 2024 03:42 PM

india s 14 trillion investment journey since 1947

भारत ने 1947 से अब तक 14 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया, जिसमें से 8 ट्रिलियन डॉलर पिछले दशक में हुआ। यह निवेश बुनियादी ढाँचे, उद्योगों की आधुनिकीकरण और सरकारी सुधारों पर केंद्रित है। निवेश-से-जीडीपी अनुपात में सुधार और शेयर बाजार में लचीलापन भारत की...

नेशनल डेस्क: भारत ने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से अपनी आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने और विश्व मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए भारी निवेश किया है। हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अब तक कुल 14 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया है, जिसमें से आधे से ज्यादा 8 ट्रिलियन डॉलर का निवेश पिछले दशक में ही हुआ है। यह जानकारी मोतीलाल ओसवाल द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में दी गई है, जिसे **द टाइम्स ऑफ इंडिया** (TOI) ने उद्धृत किया है। इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा बुनियादी ढांचे के विकास, उद्योगों की आधुनिकीकरण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में देश की स्थिति को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया गया है।

पिछले दशक में तेज़ी से बढ़ा निवेश
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2010 के बाद से निवेश में एक महत्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिली है। खासकर सरकार के बुनियादी ढाँचे के विकास और संरचनात्मक सुधारों के प्रयासों ने इस गति को तेज़ किया है। पिछले दशक में, भारत ने आधुनिकीकरण के साथ-साथ विविध क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित किया। इस दौरान, विदेशी निवेश (FDI) में भी वृद्धि हुई है, और भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को विस्तार देने के लिए विभिन्न उपायों को लागू किया। वर्तमान में, भारत की आर्थिक रणनीतियाँ बुनियादी ढाँचे के विस्तार, डिजिटल इंडिया अभियान, और मेक इन इंडिया जैसे योजनाओं पर केंद्रित हैं, जो निवेश आकर्षित करने में सहायक रही हैं। इसके परिणामस्वरूप, पिछले दशक में 8 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का निवेश हुआ, जो भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।

निवेश-से-जीडीपी अनुपात में सुधार
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत का **निवेश-से-जीडीपी अनुपात** में एक महत्वपूर्ण सुधार आया है। 2011 से यह अनुपात स्थिर बना हुआ था, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद किए गए सुधारात्मक उपायों और सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे में वृद्धि के कारण इस अनुपात में सुधार देखने को मिला है। कोविड-19 के बाद के सुधारात्मक उपायों में विशेष ध्यान बुनियादी ढाँचे, आवास, और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश पर दिया गया, जिससे दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा मिला। 

शेयर बाजार में लचीलापन
भारत का शेयर बाजार भी इसके आर्थिक मजबूती का एक अहम हिस्सा बना हुआ है। हालांकि, शेयर बाजार में अस्थिरता एक सामान्य बात है, लेकिन भारत का बाजार दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लचीला रहा है। रिपोर्ट में यह बताया गया कि पिछले 33 वर्षों में से 26 वर्षों में भारत के शेयर बाजार ने सकारात्मक रिटर्न दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, "हर साल 10-20 प्रतिशत की अस्थायी गिरावट लगभग एक निश्चित बात है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से बाजार में वृद्धि जारी रहती है।" यह निवेशकों को यह संदेश देता है कि शेयर बाजार में गिरावट के दौरान घबराने के बजाय उन्हें अपनी दीर्घकालिक योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि भारत के निवेशकों को अपने निवेश को लंबी अवधि के दृष्टिकोण से देखना चाहिए और बाजार की अस्थिरताओं से प्रभावित नहीं होना चाहिए।

भारत का भविष्य
भारत के निवेश और विकास के दृष्टिकोण को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि देश एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आर्थिक आधार में निरंतर विस्तार हो रहा है और यह वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए तैयार है। इसके साथ ही, निवेश-से-जीडीपी अनुपात में सुधार, बुनियादी ढाँचे में निवेश और बाजारों की लचीलापन ने भारत के भविष्य को उज्जवल और आशाजनक बना दिया है। देश में बढ़ते निवेश के साथ-साथ, भारत की अर्थव्यवस्था स्थिरता और विकास की नई ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार है। बढ़ते निवेश और सरकारी सुधारों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया है, और आने वाले वर्षों में इसके और भी मजबूत होने की संभावना है।

भारत का 14 ट्रिलियन डॉलर का निवेश यात्रा उसकी स्थिरता, विकास और बुनियादी ढाँचे के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। पिछले दशक में इस निवेश में आई तेज़ी, निवेश-से-जीडीपी अनुपात में सुधार और शेयर बाजार में लचीलापन, भारत को एक मजबूत और सशक्त अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। आने वाले वर्षों में, भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़ोत्तरी की संभावना बहुत अधिक है, जो न केवल भारतीय नागरिकों के लिए, बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।

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