Edited By Parminder Kaur,Updated: 09 Mar, 2025 01:19 PM

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों में 10 गुना बढ़ी है और अब यह 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निशान की ओर तेज़ी से बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले वर्ष वैश्विक आईपीओ (Initial Public Offering) बाजार में 30 प्रतिशत से अधिक...
नेशनल डेस्क. भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों में 10 गुना बढ़ी है और अब यह 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निशान की ओर तेज़ी से बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले वर्ष वैश्विक आईपीओ (Initial Public Offering) बाजार में 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी बनाई। 2024 में भारत ने कुल 3 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाए और देश का लक्ष्य 2030 तक 13 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का बाजार पूंजीकरण प्राप्त करना है, जो मजबूत निवेशक भागीदारी से संभव हो सकेगा।
भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न (1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य वाली कंपनियां) हैं और कई नई कंपनियां जल्द ही यूनिकॉर्न बनने की ओर अग्रसर हैं। भारत का स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र अब केवल तेज़ी से बढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि अब वह लाभप्रदता, प्रीमियमकरण और ओमनीचैनल अपनाने की ओर भी बढ़ रहा है।
भारत में आईपीओ की बढ़ती संख्या पर भी रिपोर्ट में चर्चा की गई है। 2024 में 330 से अधिक आईपीओ लिस्टिंग हुईं, जो वैश्विक आईपीओ वॉल्यूम का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बनाती है। रिपोर्ट के अनुसार, यूनिकॉर्न कंपनियों की औसत राजस्व में तीन गुना वृद्धि हुई है और कई कंपनियां FY24 में EBITDA (Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation and Amortization) लाभप्रदता हासिल करने में सफल रही हैं।
भारत में खुदरा निवेशकों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है, जिससे निवेशकों की औसत उम्र 42-44 साल से घटकर 30 साल से कम हो गई है। इसके अलावा भारत में 350 ब्रांड्स हैं जिनका राजस्व 100 मिलियन डॉलर से अधिक है, जो यह दर्शाता है कि भारतीय बाजार अभी भी बड़े पैमाने पर अनब्रांडेड है और कई श्रेणियाँ असंगठित खिलाड़ियों द्वारा नियंत्रित हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डिजिटल रिटेल 2030 तक कुल खुदरा बिक्री का 12 प्रतिशत हिस्सा बनने की संभावना है, जिससे प्रीमियम और लग्जरी श्रेणियों में महत्वपूर्ण अवसर उत्पन्न होंगे। इसके साथ ही ग्रामीण वाणिज्य एक बड़ा निवेश अवसर बनकर उभर रहा है, जिसे बढ़ती पहुंच और बढ़ती आकांक्षाओं द्वारा बढ़ावा मिल रहा है।
भारत का B2B (बिज़नेस-टू-बिज़नेस) क्षेत्र भी एक मौन क्रांति देख रहा है, जहां प्रौद्योगिकी-प्रेरित आपूर्ति श्रृंखला दक्षताओं से वैश्विक अवसर खुल रहे हैं।
नवी के अध्यक्ष सचिन बंसल ने कहा कि अब लाइन मैनेजर्स कर्मचारी अनुभव और कंपनी की संस्कृति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने विभिन्न उद्योगों में ऑपरेशनल अंतर को भी उल्लेख किया और कहा कि जबकि वित्तीय सेवाएं प्रौद्योगिकी में निवेश को प्राथमिकता देती हैं। वहीं ई-कॉमर्स को मजबूत लॉजिस्टिक्स और इन्वेंट्री बैकबोन की आवश्यकता है।
रेडसीर स्ट्रैटजी कंसल्टेंट्स के CEO अनिल कुमार ने कहा, "भारत की डिजिटल और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। आने वाला दशक उन कंपनियों का होगा जो ओमनीचैनल रणनीतियों, प्रीमियमकरण और पूंजी दक्षता में महारत हासिल करती हैं। यह समय संस्थापकों, निवेशकों और उद्योग नेताओं को कार्रवाई योग्य जानकारियाँ देने का है, जो दीर्घकालिक सफलता की दिशा में मदद करेंगी।"