भारत की लॉजिस्टिक लागत 2 साल में घटकर जीडीपी के 9 प्रतिशत पर आ जाएगी : गडकरी

Edited By Parveen Kumar,Updated: 17 Oct, 2024 06:30 PM

india s logistics cost will come down to 9 percent of gdp in 2 years

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की ‘लॉजिस्टिक' लागत अगले दो वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नौ प्रतिशत तक आ जाएगी, क्योंकि मंत्रालय कई राजमार्गों तथा एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रहा है।

नेशनल डेस्क : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की ‘लॉजिस्टिक' लागत अगले दो वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नौ प्रतिशत तक आ जाएगी, क्योंकि मंत्रालय कई राजमार्गों तथा एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रहा है। नीति आयोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा, “दो साल के भीतर हम अपनी लॉजिस्टिक लागत घटाकर नौ प्रतिशत तक करने जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत में लॉजिस्टिक लागत 14 प्रतिशत है, जबकि प्रमुख यूरोपीय देशों तथा अमेरिका में लॉजिस्टिक लागत करीब 12 प्रतिशत है। मंत्री ने बताया कि चीन में लॉजिस्टिक लागत लगभग आठ प्रतिशत है।

आर्थिक शोध संस्थान ‘नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च' (एनसीएईआर) के अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.8 प्रतिशत से 8.9 प्रतिशत के बीच थी। वहीं आर्थिक समीक्षा 2022-23 के अनुसार, यह सकल घरेलू उत्पाद का 14-18 प्रतिशत है, जो वैश्विक मानक करीब आठ प्रतिशत से काफी अधिक है। गडकरी ने कहा कि भारत के लिए वैकल्पिक ईंधन और जैव ईंधन के निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि निम्न गुणवत्ता वाले कोयले का इस्तेमाल मेथनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है। मंत्री ने कहा कि भारत जैव ईंधन, खासकर मेथनॉल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। गडकरी ने साथ ही कहा कि उनका लक्ष्य भारतीय वाहन उद्योग को विश्व में पहले स्थान पर लाना है। उन्होंने कहा कि भारत पिछले वर्ष जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बन गया था और केवल अमेरिका तथा चीन से पीछे है।

गडकरी ने कहा कि भारत के वाहन उद्योग का आकार 2014 में 7.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 18 लाख करोड़ रुपये हो गया है। सबसे ज्यादा नौकरियां इसी उद्योग में पैदा हो रही हैं। मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सड़क निर्माण में पुनर्चक्रण (रीसाइकिल) किए गए टायर पाउडर तथा प्लास्टिक जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे डामर के आयात में कमी लाने में मदद मिलती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि फसल अपशिष्ट का इस्तेमाल करने की पहल देशभर के किसानों की आय बढ़ाने में कैसे मदद कर रही है।

गडकरी ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या पर भी बात की। उन्होंने कहा, “अभी हम पराली का पांचवां हिस्सा ही संसाधित कर सकते हैं, लेकिन बेहतर योजना के साथ हम पराली को वैकल्पिक ईंधन के लिए कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल कर इससे होने वाले वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं।” मंत्री ने कहा कि भारत को एक ऐसी नीति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है जो किफायती, स्वदेशी, आयात विकल्प तथा रोजगार सृजन करने वाली हो ताकि बढ़ते प्रदूषण तथा जीवाश्म ईंधन आयात के प्रमुख मुद्दों का समाधान किया जा सके। 

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