Edited By Rohini,Updated: 05 Jan, 2025 04:20 PM
फिच रेटिंग्स ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में 3% से 4% तक की वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार यह वृद्धि उपभोक्ता, औद्योगिक और...
नेशनल डेस्क। फिच रेटिंग्स ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में 3% से 4% तक की वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार यह वृद्धि उपभोक्ता, औद्योगिक और बुनियादी ढांचे की बढ़ती मांग के कारण होगी। इस अनुमान के आधार पर फिच का कहना है कि भारत की जीडीपी में 6.4% तक की वृद्धि हो सकती है।
डीजल और पेट्रोल की खपत से होगी वृद्धि
फिच के मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में यह वृद्धि मुख्य रूप से डीजल और पेट्रोल की खपत के कारण होगी जो भारतीय पेट्रोलियम उत्पादों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि FY25 के पहले सात महीनों में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में 3% की वृद्धि हुई है और FY24 में यह वृद्धि 5% रही थी।
रिफाइनिंग और मार्केटिंग मार्जिन पर दबाव
फिच ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारतीय तेल विपणन कंपनियों (OMCs) को वित्तीय वर्ष 2025 में रिफाइनिंग मार्जिन पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में अनुमान है कि रिफाइनिंग मार्जिन मध्य-चक्र स्तर से नीचे गिर सकते हैं जिसका मुख्य कारण क्षेत्रीय स्तर पर अति आपूर्ति, कम उत्पाद दरें और कच्चे तेल की किस्मों के बीच मूल्य अंतर है जिससे लाभ में कमी आ सकती है।
मार्केटिंग मार्जिन बने रहेंगे मजबूत
हालांकि रिफाइनिंग में चुनौतियों के बावजूद फिच का कहना है कि ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों में कमी की वजह से मार्केटिंग मार्जिन में स्थिरता बनी रह सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन मजबूत मार्केटिंग मार्जिन से ओएमसी के लिए रिफाइनिंग मार्जिन में आई गिरावट के असर को कुछ हद तक कम किया जा सकेगा।
एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (HMEL) को हो सकती हैं ज्यादा चुनौतियाँ
फिच ने यह भी उल्लेख किया कि एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (HMEL) जैसी शुद्ध रिफाइनर कंपनियों को अपनी मार्केटिंग ऑपरेशंस की कमी के कारण अधिक लाभप्रदता की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि फिच ने यह भी कहा कि वित्तीय वर्ष 2025 में एचएमईएल की रेटिंग पर दबाव रहेगा लेकिन वित्तीय वर्ष 2026 में रिफाइनिंग मार्जिन में सुधार हो सकता है। इसका कारण है क्षेत्रीय ओवरसप्लाई में कमी और ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट।
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रिफाइनिंग और विपणन के बीच अंतर्संबंध पर जोर
फिच की रिपोर्ट में भारतीय तेल विपणन कंपनियों के रिफाइनिंग और विपणन परिचालनों के बीच अंतर्संबंध पर विशेष जोर दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मजबूत विपणन प्रदर्शन से रिफाइनिंग मार्जिन में गिरावट के कारण उत्पन्न होने वाले नकारात्मक जोखिमों को कम किया जा सकेगा।
फिच रेटिंग्स के अनुसार भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में वृद्धि जारी रहेगी लेकिन तेल विपणन कंपनियों को रिफाइनिंग मार्जिन में दबाव का सामना करना पड़ सकता है। इसके बावजूद मार्केटिंग मार्जिन की मजबूती और अन्य उपायों से इस दबाव को कम करने की उम्मीद है। कंपनियों के लिए आने वाले वित्तीय वर्ष में रिफाइनिंग और विपणन के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन लंबी अवधि में स्थिति में सुधार के संकेत भी मिल रहे हैं।