Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 Jan, 2025 05:29 PM
मैककिंसी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट "निर्भरता और जनसंख्या में कमी: नई जनसांख्यिकी वास्तविकता के परिणामों का सामना करना" में एक बड़ा और दिलचस्प अनुमान सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक भारत की वैश्विक खपत में हिस्सेदारी 16% तक पहुंचने...
नेशनल डेस्क: मैककिंसी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट "निर्भरता और जनसंख्या में कमी: नई जनसांख्यिकी वास्तविकता के परिणामों का सामना करना" में एक बड़ा और दिलचस्प अनुमान सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक भारत की वैश्विक खपत में हिस्सेदारी 16% तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2023 में 9% के मुकाबले दोगुना अधिक होगा। यह भारत की बढ़ती आबादी, उसकी युवा शक्ति और बढ़ती आय को दर्शाता है, जो वैश्विक खपत में महत्वपूर्ण योगदान करेगी।
भारत की खपत हिस्सेदारी में वृद्धि का कारण
भारत की खपत हिस्सेदारी में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से देश की युवा और बढ़ती जनसंख्या से प्रेरित है। इसके अलावा, देश की आय भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे लोग अधिक खर्च कर रहे हैं। इन कारकों के चलते, भारत को वैश्विक खपत के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक माना जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक भारत की खपत हिस्सेदारी केवल उत्तरी अमेरिका (17%) से पीछे रहेगी। इन आंकड़ों को क्रय शक्ति समता पर आधारित किया गया है, जिससे देशों के मूल्य अंतर को समायोजित किया गया है। यह परिवर्तन वैश्विक खपत के पैटर्न को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जनसांख्यिकी में बदलाव और भारत की भूमिका
2050 तक, दुनिया की जनसंख्या में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। रिपोर्ट बताती है कि उन्नत देशों में प्रजनन दर घट रही है और वहां की आबादी बूढ़ी हो रही है। इसके विपरीत, भारत जैसे उभरते देशों की जनसंख्या युवा है और आय भी बढ़ रही है। इससे इन देशों की खपत में जबरदस्त वृद्धि हो सकती है। भारत की भूमिका इस बदलाव में महत्वपूर्ण होगी। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की श्रम शक्ति 2050 तक वैश्विक कार्य घंटों का दो-तिहाई हिस्सा होगी, जो देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाएगी। इसके साथ ही, भारत के बढ़ते उपभोक्ता बाजार का हिस्सा वैश्विक अर्थव्यवस्था में और अधिक प्रभावी हो सकता है।
महिला कार्यबल की बढ़ती भागीदारी का प्रभाव
रिपोर्ट में महिला कार्यबल भागीदारी में वृद्धि के प्रभाव पर भी जोर दिया गया है। यह अनुमान है कि यदि भारत अपनी महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर को 10 प्रतिशत अंक बढ़ाता है, तो देश के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 4-5% की वृद्धि हो सकती है। इससे न केवल महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
भारत की जनसंख्या का आकार और उसके प्रभाव
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जनसंख्या का हिस्सा 2023 में 23% था, जो 2050 तक घटकर 17% रह जाएगा। हालांकि, कामकाजी उम्र की आबादी में वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में भी बढ़ोतरी हो सकती है। भारत में इस समय एक बड़ा जनसांख्यिकीय लाभांश है, जिसका फायदा आने वाले दशकों में मिल सकता है।
क्या है भविष्य की दिशा?
यह रिपोर्ट बताती है कि भारत की बढ़ती युवा जनसंख्या, बढ़ती आय और महिला कार्यबल की बढ़ती भागीदारी के कारण भारत वैश्विक खपत में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है। 2050 तक, भारत की खपत में जबरदस्त वृद्धि की संभावना है, जो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकती है। इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी होगा, जिससे देश की शक्ति और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है।