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भारत की इस दिग्गज हस्ती का निधन, राजनीतिक, अध्यात्मिक जगत में शोक की लहर

Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Apr, 2025 07:21 AM

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भारत के आध्यात्मिक आकाश का एक बड़ा सितारा हमेशा के लिए विलीन हो गया। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रमुख प्रशासिका और आध्यात्मिकता की जीवंत मिसाल राजयोगिनी डॉ. दादी रतनमोहिनी अब हमारे बीच नहीं रहीं। बुधवार तड़के करीब 1:20 बजे...

नेशनल डेस्क: भारत के आध्यात्मिक आकाश का एक बड़ा सितारा हमेशा के लिए विलीन हो गया। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रमुख प्रशासिका और आध्यात्मिकता की जीवंत मिसाल राजयोगिनी डॉ. दादी रतनमोहिनी अब हमारे बीच नहीं रहीं। बुधवार तड़के करीब 1:20 बजे अहमदाबाद के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थीं और इलाज के लिए भर्ती थीं।

  13 साल की उम्र में शुरू हुआ था आध्यात्मिक सफर

दादी रतनमोहिनी ने सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में आध्यात्मिक जीवन को अपना लिया था और बीते 88 वर्षों से वे ईश्वरीय सेवा में निरंतर समर्पित रहीं। उन्होंने न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी लाखों लोगों के जीवन को दिशा दी, उन्हें शांति और आत्मिक संतुलन का मार्ग दिखाया। 25 मार्च को ही उनका 101वां जन्मदिन पूरे श्रद्धा और सादगी से मनाया गया था। दो सप्ताह बाद उन्होंने शरीर का त्याग कर इस नश्वर संसार से विदा ले ली।

 अंतिम यात्रा और श्रद्धांजलि

उनके पार्थिव शरीर की वैकुंठी यात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। उनका अंतिम संस्कार ब्रह्माकुमारी संस्था के शांतिवन परिसर में किया जाएगा। हर आंख नम थी, हर दिल भावुक।

🇮🇳 राष्ट्रीय शोक की लहर

उनके निधन की खबर फैलते ही राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें "ब्रह्माकुमारी संस्था का प्रकाश स्तंभ" बताते हुए गहरा दुख जताया।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सादगी, सेवा और करुणा को याद करते हुए लिखा कि उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेगा।

  • लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन सत्य, सेवा और शांति का मार्ग था।

  • गृह मंत्री अमित शाह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, अनुपम खेर, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित कई हस्तियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से शोक व्यक्त किया।

  एक प्रेरणादायी विरासत

दादी रतनमोहिनी का जीवन किसी जीवित ग्रंथ से कम नहीं था। उन्होंने अपने व्यवहार, विचार और सेवा के जरिए दुनिया को आध्यात्मिकता, आत्मबल और करुणा का पाठ पढ़ाया। उनका जाना सिर्फ एक संस्था के लिए नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

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