Edited By Mahima,Updated: 03 Jan, 2025 12:43 PM
भारत ने 2024-25 में कॉफी निर्यात में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर पार किया है, जिसमें 1 अरब डॉलर का आंकड़ा छुआ है। यूरोपीय संघ के वन विनाश विनियमन, रोबस्टा कॉफी की बढ़ती मांग और भारतीय गुणवत्ता उत्पादों ने इस वृद्धि को संभव बनाया है। भारत के कॉफी...
नेशनल डेस्क: भारत ने कॉफी के निर्यात के मामले में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। चालू वित्त वर्ष (2024-25) के नवंबर महीने तक, भारत ने पहली बार कॉफी का निर्यात 1 अरब डॉलर (1146.9 मिलियन डॉलर) से अधिक कर दिया है। यह आंकड़ा भारतीय कॉफी उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इसने वैश्विक कॉफी निर्यात बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत किया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सी.एम.आई.ई.) के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है कि भारतीय कॉफी का निर्यात पिछले साल की तुलना में 29 प्रतिशत बढ़ा है, जो भारत के कॉफी निर्यातकों के लिए एक शुभ संकेत है।
यूरोप में कॉफी की खपत तेजी से बढ़ रही
भारत से कॉफी निर्यात में यह वृद्धि कई कारकों के कारण हुई है, जिनमें प्रमुख हैं यूरोपीय संघ का नया वन विनाश विनियमन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव। इस वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारण यूरोपीय देशों में रोबस्टा कॉफी की बढ़ती मांग है। यूरोप में कॉफी की खपत तेजी से बढ़ रही है और भारतीय रोबस्टा कॉफी को लेकर सकारात्मक रुझान देखने को मिल रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय कॉफी की गुणवत्ता और टिकाऊ उत्पादन पद्धतियों की भी वैश्विक स्तर पर सराहना हो रही है। भारतीय कॉफी उत्पादक विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों से आते हैं जहां टिकाऊ खेती और पर्यावरणीय सुरक्षा पर जोर दिया जाता है। यह वैश्विक बाजार में भारतीय कॉफी को और अधिक लोकप्रिय बना रहा है, और इसके निर्यात में वृद्धि को सुनिश्चित कर रहा है।
यूरोपीय संघ का वन विनाश विनियमन और उसका प्रभाव
यूरोपीय संघ ने हाल ही में "वन विनाश विनियमन" (EU Deforestation Regulation) को लागू किया है, जिसका उद्देश्य उन उत्पादों के आयात पर रोक लगाना है, जिनके उत्पादन में जंगलों की कटाई का कारण बनती है। इस कानून के तहत, उन सभी उत्पादों का यूरोपीय संघ में आयात प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिनके उत्पादन में या जिनकी खेती में बड़े पैमाने पर वनक्षति होती है। इसमें कॉफी, कोकोआ, रबड़, और पाम ऑयल जैसे प्रमुख उत्पाद शामिल हैं। इस नए कानून के तहत यूरोपीय संघ ने यह सुनिश्चित किया है कि उन देशों से आने वाले उत्पादों का प्रमाण देना होगा कि उनकी आपूर्ति श्रृंखला पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है और इसमें किसी प्रकार की वनक्षति शामिल नहीं है। इसके कारण भारतीय कॉफी निर्यातकों के लिए यह एक सुनहरा अवसर बन गया है क्योंकि भारतीय उत्पादक पहले से ही ऐसे तरीके अपनाते हैं, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और जो टिकाऊ खेती की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।
63 प्रतिशत तक का जबरदस्त उछाल
रोबस्टा कॉफी बीन्स विश्वभर में सबसे अधिक उत्पादित होती है और यह कॉफी के कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बनाती है। इस साल रोबस्टा कॉफी की कीमतों में 63 प्रतिशत तक का जबरदस्त उछाल देखा गया है, जो कि विशेष रूप से वियतनाम और ब्राजील जैसे देशों से इसकी आपूर्ति में कमी के कारण हुआ है। इन देशों में बुरी मौसम परिस्थितियों और उत्पादन में गिरावट ने रोबस्टा कॉफी की आपूर्ति को प्रभावित किया है। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय रोबस्टा कॉफी की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और इसका निर्यात बढ़ा है। भारत, यूरोपीय संघ के देशों जैसे बेल्जियम, जर्मनी और इटली में अपने रोबस्टा कॉफी के निर्यात में तेजी ला रहा है। भारतीय कॉफी की बढ़ती मांग से भारतीय निर्यातकों को फायदा हो रहा है और वे अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए नए अवसरों का लाभ उठा रहे हैं।
वैश्विक कॉफी बाजार में भारत की स्थिति
भारत, दुनिया के सबसे बड़े कॉफी उत्पादक देशों में से एक है और अब वैश्विक कॉफी निर्यात बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में सफल हो रहा है। भारत से निर्यात की जा रही कॉफी की मात्रा और उसकी गुणवत्ता दोनों में लगातार सुधार हो रहा है। भारतीय कॉफी का निर्यात अधिकतर यूरोपीय देशों, अमेरिका और जापान जैसे देशों में होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत अपनी कॉफी उत्पादकता और निर्यात क्षमता को इसी तरह से बढ़ाता रहा, तो आने वाले वर्षों में वह दुनिया के सबसे बड़े कॉफी निर्यातक देशों में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकता है। भारतीय कॉफी की उच्च गुणवत्ता, इसके परंपरागत उत्पादन तरीके और बढ़ती वैश्विक मांग इसे एक महत्वपूर्ण वैश्विक व्यापारिक उत्पाद बना रही है।
भारतीय किसानों को कॉफी की निर्यात वृद्धि का लाभ
भारत में छोटे और बड़े दोनों प्रकार के कॉफी उत्पादक अब इस बढ़ते निर्यात के लाभ का हिस्सा बन रहे हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों जैसे कर्नाटका, केरल और तमिलनाडु में कॉफी की खेती होती है, और इन राज्यों के किसानों को इस निर्यात वृद्धि से वित्तीय लाभ हो रहा है। निर्यात में वृद्धि के साथ-साथ, किसानों को उच्च मूल्य प्राप्त हो रहा है और इसके कारण वे अपने उत्पादन तरीके में भी सुधार कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार की ओर से कई योजनाएं और नीतियां कॉफी उत्पादकों के लिए मददगार साबित हो रही हैं, जिससे उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने के लिए संसाधन और प्रशिक्षण मिल रहा है। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय कॉफी की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही है, जिससे इसका निर्यात बढ़ रहा है और किसानों को अच्छे मूल्य मिल रहे हैं।
भारत के लिए कॉफी का निर्यात अब एक महत्वपूर्ण और लाभकारी उद्योग बन चुका है। यूरोपीय संघ का वन विनाश विनियमन, रोबस्टा कॉफी की बढ़ती वैश्विक मांग और भारतीय कॉफी उत्पादकों की गुणवत्ता के प्रति प्रतिबद्धता ने भारत को वैश्विक कॉफी निर्यातक के रूप में मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है। भारतीय कॉफी का निर्यात रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज कर रहा है और इसके साथ ही भारत को इस उद्योग में और अधिक निवेश और अवसर मिल रहे हैं। आने वाले वर्षों में, भारत कॉफी के निर्यात में और अधिक वृद्धि की उम्मीद करता है, जो भारतीय किसानों और उत्पादकों के लिए एक उज्जवल भविष्य की ओर इशारा करता है।