नेपाली नेता ने कहा- नेपाल-चीन BRI समझौते पर भारत को नहीं होना चाहिए एतराज

Edited By Tanuja,Updated: 07 Dec, 2024 10:58 AM

india should not object to bri framework with china nepal minister

नेपाल (Nepal) में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री रघुबीर महासेठ ने शुक्रवार को कहा कि भारत को नेपाल और चीन ...

Kathmandu:  नेपाल (Nepal) में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री रघुबीर महासेठ ने शुक्रवार को कहा कि भारत को नेपाल और चीन द्वारा हस्ताक्षरित  बेल्ट एंड रोड (BRI) समझौते पर आपत्ति नहीं जतानी चाहिए क्योंकि इस संपर्क परियोजना से नयी दिल्ली को भी लाभ हो सकता है। नेपाल और चीन के बीच कई अरब डॉलर के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) समझौते पर बुधवार को हस्ताक्षर किए गए, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो गया।

 

इस समझौते पर नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली  (PM K.P. Sharma Oli) की चीन की आधिकारिक यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किये गए। बीआरआई एक बड़ी संपर्क परियोजना है, जो चीन को दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ती है। महासेठ ने यहां ‘प्रधानमंत्री ओली की चीन (China) यात्रा के बाद बीआरआई का कार्यान्वयन' शीर्षक वाले संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “भारत को नेपाल द्वारा चीन के साथ BRI सहयोग रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर करने पर आपत्ति नहीं जतानी चाहिए क्योंकि इससे भारत को भी लाभ होगा।” पूर्व उपप्रधानमंत्री ने कहा, “अगर नेपाल और चीन को जोड़ने के लिए रेलवे व सड़क जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाता है तो इसका उपयोग भारत द्वारा भी किया जा सकता है।

 

इसलिए भारत को इस तरह के समझौते से डरने की कोई जरूरत नहीं है।” महासेठ ने कहा कि अगर नेपाल अपने हितों को ध्यान में रखते हुए चीन से ऋण लेता है तो भी किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल अपने क्षेत्र में दोनों पड़ोसियों भारत और चीन के खिलाफ गतिविधियों की अनुमति नहीं देगा। उल्लेखनीय है कि भारत ने बीआरआई पर आपत्ति जताई है और इस परियोजना के विरोध में दृढ़ता से खड़ा रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की इस परियोजना का उद्देश्य बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश के जरिए चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाना है।  

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