Edited By Tanuja,Updated: 07 Sep, 2024 06:16 PM
भारत और सिंगापुर ने दक्षिण चीन सागर में विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने और अंतरराष्ट्रीय कानून, खासकर यूएनसीएलओएस...
International Desk: भारत और सिंगापुर ने दक्षिण चीन सागर में विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने और अंतरराष्ट्रीय कानून, खासकर यूएनसीएलओएस (1982 का संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन) का पालन करने की अपील की है। दोनों देशों ने इस क्षेत्र में नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। यह संयुक्त बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान जारी किया गया।
बयान में कहा गया कि, "समृद्धि और सुरक्षा के बीच के संबंध को समझते हुए, नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा, स्थिरता, और स्वतंत्रता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, सभी विवादों को यूएनसीएलओएस के तहत शांतिपूर्ण तरीके से, बिना किसी धमकी या बल प्रयोग के सुलझाने की अपील की।"
भारत और सिंगापुर ने सभी देशों से आग्रह किया कि वे ऐसी गतिविधियों से बचें जो क्षेत्र में तनाव को बढ़ा सकती हैं। साथ ही, दोनों देशों ने यूएनसीएलओएस के नियमों के तहत दक्षिण चीन सागर के लिए एक मजबूत आचार संहिता (Code of Conduct) को जल्द से जल्द लागू करने की उम्मीद जताई, जो सभी देशों के वैध अधिकारों और हितों का सम्मान करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने आतंकवाद को वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया और इसकी कड़ी निंदा की। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता दोहराई और इस बात पर जोर दिया कि आतंकी गतिविधियों को किसी भी स्थिति में सही नहीं ठहराया जा सकता।प्रधानमंत्री मोदी ने 4-5 सितंबर 2024 को सिंगापुर की आधिकारिक यात्रा की थी, जो उनकी सिंगापुर की पांचवीं यात्रा थी।