PM Brunei Visit: विस्तारवाद की नहीं, विकास की नीति का समर्थन करता है भारत, ब्रुनेई में बोले पीएम मोदी

Edited By rajesh kumar,Updated: 04 Sep, 2024 07:42 PM

india supports policy development not expansionism pm modi in brunei

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परोक्ष रूप से चीन के संदर्भ में बुधवार को कहा कि भारत ‘‘विस्तारवाद की नहीं बल्कि विकास की नीति'' का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री मोदी की ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने क्षेत्र में ‘‘नौवहन की...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परोक्ष रूप से चीन के संदर्भ में बुधवार को कहा कि भारत ‘‘विस्तारवाद की नहीं बल्कि विकास की नीति'' का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री मोदी की ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने क्षेत्र में ‘‘नौवहन की स्वतंत्रता'' के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। प्रधानमंत्री की सुल्तान हाजी हसनल बोलकिया के साथ रक्षा, व्यापार समेत विभिन्न विषयों पर चर्चा के साथ भारत और ब्रुनेई ने द्विपक्षीय साझेदारी को ‘उच्च स्तर तक' बढ़ाने की कवायद को अमली जामा पहनाया।

हम विकास की नीति का करते हैं समर्थन- पीएम मोदी 
PM मोदी ने सुल्तान बोलकिया द्वारा आयोजित भोज में किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘हम विस्तारवाद की नहीं बल्कि विकास की नीति का समर्थन करते हैं।'' चीन का दक्षिण चीन सागर (एससीएस) और पूर्वी चीन सागर (ईसीएस) में कई देशों के साथ विवाद है। चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपीन, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना दावा करते हैं। मोदी ने कहा, ‘‘हम इस बात पर सहमत हैं कि इस क्षेत्र में एक आचार संहिता को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।''
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उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा आसियान (दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) को प्राथमिकता दी है और आगे भी ऐसा करता रहेगा। ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा पर आने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हम यूएनसीएलओएस (समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि) जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं।''

दोनों नेताओं की वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया। बयान के अनुसार, ‘‘दोनों नेताओं ने शांति, स्थिरता, समुद्री रक्षा और सुरक्षा को बनाए रखने एवं बढ़ावा देने के साथ नौवहन एवं उड़ान की स्वतंत्रता का सम्मान करने एवं अंतरराष्ट्रीय कानून विशेष रूप से यूएनसीएलओएस, 1982 के अनुरूप निर्बाध वैध व्यापार की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।'' इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस 1982 के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों को सुलझाने का आग्रह किया।
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मोदी ने ब्रुनेई को भारत की ‘एक्ट ईस्ट' नीति और हिंद-प्रशांत के लिए दृष्टिकोण में एक ‘‘महत्वपूर्ण साझेदार'' बताया और कहा कि सुल्तान के साथ उनकी बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई तथा दोनों पक्ष व्यापार संबंधों, वाणिज्यिक संबंधों और लोगों के बीच आदान-प्रदान को और आगे बढ़ाने जा रहे हैं। मोदी ने कहा, ‘‘भारत और ब्रुनेई के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। इस वर्ष हम अपने राजनयिक संबंधों की 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर पर हमने अपने संबंधों को साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।''

दोनों नेताओं ने कई विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की
दोनों नेताओं ने रक्षा, व्यापार और निवेश, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण, संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की। उन्होंने आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी), फिनटेक, साइबर सुरक्षा, नयी और उभरती प्रौद्योगिकियों और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावना तलाशने और उसे आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। मोदी ने कहा, ‘‘हमने अपनी साझेदारी को रणनीतिक दिशा देने के लिए अपने संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक बातचीत की। हम आर्थिक, वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने कृषि-उद्योग, दवा और स्वास्थ्य क्षेत्रों के साथ-साथ फिनटेक और साइबर सुरक्षा में अपने सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया है।''
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वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया
उन्होंने कहा, ‘‘हमने एलएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। अपने रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए हमने रक्षा उद्योग, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहयोग की संभावनाओं पर रचनात्मक बातचीत की। अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए हमने उपग्रह विकास, रिमोट सेंसिंग और प्रशिक्षण में सहयोग पर सहमति व्यक्त की है।'' दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की और देशों से इसे खारिज करने का आह्वान किया। उन्होंने आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

 

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