भारत बनेगा ‘दुनिया की फार्मेसी’, 2047 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की फार्मा इंडस्ट्री का लक्ष्य!

Edited By Rahul Rana,Updated: 29 Nov, 2024 01:05 PM

india will become the  pharmacy of the world

भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री आने वाले दशकों में तेज़ी से विकास की ओर अग्रसर है। भारत जो अब 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में जाना जाता है ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के दौरान अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे उसे ‘हीलर्स ऑफ द वर्ल्ड’ का खिताब भी मिला।...

नेशनल डेस्क। भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री आने वाले दशकों में तेज़ी से विकास की ओर अग्रसर है। भारत जो अब 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में जाना जाता है ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के दौरान अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे उसे ‘हीलर्स ऑफ द वर्ल्ड’ का खिताब भी मिला। इस इंडस्ट्री का मौजूदा मूल्य 55 बिलियन डॉलर है और अनुमान है कि यह 2030 तक 130 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि 2047 तक भारत की फार्मा इंडस्ट्री का मूल्य 450 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है। इसके साथ ही भारत का लक्ष्य इसे 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना है। फिलहाल भारत हर साल 27.85 बिलियन डॉलर की दवाओं का निर्यात करता है जो 200 से अधिक देशों को सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराता है।

फार्मा क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी योगदान

भारत की फार्मा इंडस्ट्री की सफलता के पीछे कई प्रमुख कारक हैं जिनमें बायोलॉजिक्स, स्पेशियलिटी जेनेरिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकों का योगदान है। भारत में दवाओं का उत्पादन अमेरिका और यूरोप की तुलना में 30-35% कम लागत पर होता है जिससे यह वैश्विक बाजार में अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बनता है।

भारत के फार्मा सेक्टर के लिए आगामी अवसर

नोएडा में चल रहे सीपीएचआई और पीएमईसी इंडिया एक्सपो में फार्मा सेक्टर के भविष्य पर चर्चा के लिए 120 से अधिक देशों के 2,000 से अधिक प्रदर्शक और 50,000 से अधिक प्रतिभागी इकट्ठा हुए हैं। यह तीन दिवसीय इवेंट फार्मा मशीनरी, पैकेजिंग, बायोफार्मास्यूटिकल्स और अन्य नवाचारों का प्रदर्शन कर रहा है।

भारत का फार्मा उद्योग वैश्विक स्तर पर अग्रणी

इनफॉर्मा मार्केट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर योगेश मुद्रास के अनुसार, "भारत की फार्मा इंडस्ट्री उत्पादन क्षमता, अनुसंधान और लागत-कुशलता के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी है। यह उत्पादन मात्रा में दुनिया में तीसरे और मूल्य में 14वें स्थान पर है। भारत की फार्मा इंडस्ट्री जीडीपी में 1.72% का योगदान देती है।"

किफायती उत्पादन और अनुसंधान लागत जो विकसित देशों की तुलना में 87% कम है भारत को वैश्विक फार्मा कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाती है। इसके अलावा भारत में कुशल श्रमिकों की प्रचुरता और तकनीकी क्षमता के साथ यह देश फार्मा उत्पादन और नवाचार दोनों में नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।


भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री का भविष्य बेहद उज्जवल नजर आ रहा है। निरंतर नवाचार, किफायती उत्पादन और वैश्विक स्तर पर सस्ती दवाओं की उपलब्धता के कारण भारत दुनिया में फार्मा क्षेत्र में अग्रणी बन चुका है। आने वाले वर्षों में भारत की फार्मा इंडस्ट्री से वैश्विक बाजार में और भी महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद है।

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