'ट्रूडो सरकार पर नहीं है भरोसा', भारत कनाडा से वापस बुलाएगा अपने राजदूत

Edited By Yaspal,Updated: 14 Oct, 2024 07:45 PM

india will call back its ambassador from canada

भारत और कनाडा के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी देखने को मिल रही है। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद सोमवार को भारत सरकार का रुख और सख्त हो गया है। भारत ने कनाडा से अपने राजदूत को बुलाने का किया है

नई दिल्लीः भारत और कनाडा के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी देखने को मिल रही है। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद सोमवार को भारत सरकार का रुख और सख्त हो गया है। भारत ने कनाडा से अपने राजदूत को बुलाने का किया है। भारत ने कहा कि ट्रूडो सरकार पर भरोसा नहीं है। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कनाडा के राजदूत को दिल्ली में तलब किया था।

वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित हैं आरोप
इससे पहले भारत ने कनाडा को अपने राजनयिक के खिलाफ इस तरह के ‘‘मनगढ़ंत'' आरोपों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। भारत ने एक सख्त जवाब में उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा के खिलाफ आरोपों को पुरजोर तरीके से खारिज कर दिया और आरोपों को ‘बेतुका' बताते हुए इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे से जुड़ा बताया, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को कल कनाडा से एक ‘‘राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कहा गया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में एक मामले के सिलसिले में चल रही जांच की ‘निगरानी' में हैं''। उसने कहा कि भारत अब ‘‘भारतीय राजनयिकों के खिलाफ आरोपों को गढ़ने के कनाडा सरकार के इन नवीनतम प्रयासों'' के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे और कनाडा सरकार ने तब से हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद भारत सरकार के साथ सबूतों का एक अंश भी साझा नहीं किया है।'' पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित' संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था। निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नयी दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका' बताते हुए खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘दिसंबर 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में उनका स्पष्ट हस्तक्षेप दिखाता है कि वह इस संबंध में कहां तक जाना चाह रहे थे।'' भारत का इशारा जाहिर तौर पर किसान आंदोलन के दौरान कनाडा के नेता के बयानों की ओर था।

कनाडा के हालिया आरोपों पर विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इससे कोई संदेह नहीं रह जाता कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए यह भारत को बदनाम करने की जानबूझकर रची गई रणनीति है।'' उसने कहा कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत के प्रति बैरपूर्ण स्वभाव लंबे समय से स्पष्ट है। मंत्रालय ने कहा कि ट्रूडो ने 2018 में भारत की यात्रा की थी जिसका मकसद वोट बैंक को साधना था, लेकिन यह उन्हें असहज करने वाली साबित हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं, जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं।'' उसने कहा, ‘‘उनकी सरकार एक ऐसे राजनीतिक दल पर निर्भर है, जिसके नेता भारत के प्रति खुलेआम अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामला और बिगड़ गया।''

कनाडा भारत विरोधी एजेंडे को भी बढ़ावा देता है
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘कनाडाई राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचनाओं के घेरे में आई उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को इसमें शामिल किया है।'' उसने कहा कि भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह नवीनतम घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘यह कोई संयोग नहीं है कि यह घटना ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री ट्रूडो को विदेशी हस्तक्षेप पर एक आयोग के समक्ष गवाही देनी है।'' उसने कहा, ‘‘यह भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को भी बढ़ावा देता है जिसे ट्रूडो सरकार ने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लगातार बढ़ावा दिया है।''

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस उद्देश्य से ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को कनाडा में भारतीय राजनयिकों और सामुदायिक नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए जगह दी है। इसमें उन्हें और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी देना भी शामिल है।'' उसने कहा, ‘‘इन सभी गतिविधियों को बोलने की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है। अवैध रूप से कनाडा में प्रवेश करने वाले कुछ लोगों को तेजी से नागरिकता प्रदान की गई। कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों और संगठित अपराध से जुड़े लोगों के संबंध में भारत सरकार के कई प्रत्यर्पण अनुरोधों की अनदेखी की गई है।''

विदेश मंत्रालय ने कहा कि उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा भारत के सबसे वरिष्ठ सेवारत राजनयिक हैं, जिनका 36 वर्षों का शानदार करियर रहा है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘वह जापान और सूडान में राजदूत रह चुके हैं, जबकि इटली, तुर्किये, वियतनाम और चीन में भी सेवा दे चुके हैं। कनाडा सरकार द्वारा उन पर लगाए गए आरोप हास्यास्पद हैं और अवमानना ​​के योग्य हैं।'' उसने कहा, ‘‘भारत सरकार ने भारत में कनाडा के उच्चायोग की गतिविधियों का संज्ञान लिया है जो वर्तमान शासन के राजनीतिक एजेंडे पर काम करता है।'' 

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