Edited By Mahima,Updated: 14 Feb, 2025 04:37 PM
![india will not suffer much loss due to us tariff hike](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_16_36_235998933trump-ll.jpg)
अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने पर भारत को ज्यादा नुकसान नहीं होने की संभावना है, क्योंकि दोनों देशों के व्यापार में काफी अंतर है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के मुख्य निर्यात क्षेत्र अमेरिका के शुल्क से कम प्रभावित होंगे। भारत और अमेरिका के बीच...
नेशनल डेस्क: अमेरिका के द्वारा अपने व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी शुल्क लगाने के कदम से भारत को ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों के व्यापारिक खाके में काफी फर्क है, और इस वजह से भारत पर इसका असर कम होगा।
क्या कहता है ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI)?
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा है कि अगर अमेरिका भारतीय पिस्ते पर 50 प्रतिशत का शुल्क लगा देता है, तो इससे भारत को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत पिस्ते का निर्यात नहीं करता। GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाया गया शुल्क औसतन पांच प्रतिशत से भी कम है। इसके विपरीत, भारत को कपड़े, परिधान और जूते जैसी श्रम-प्रधान वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क का सामना करना पड़ता है, जो 15 से 35 प्रतिशत तक हो सकता है।
भारत भी अपने स्तर पर कर सकता जवाबी कार्रवाई
अजय श्रीवास्तव ने आगे बताया कि भारत और अमेरिका के निर्यात खाके में काफी अंतर है, जिसके कारण अमेरिका द्वारा जवाबी शुल्क लगाए जाने का असर भारत पर बहुत ज्यादा नहीं होगा। वह कहते हैं कि “अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, अप्रैल 2025 में अमेरिका जवाबी शुल्क पर निर्णय ले सकता है, और फिर जून 2019 की तरह भारत भी अपने स्तर पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है।”
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते
वाशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता के बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत को अपने व्यापार घाटे को कम करने के लिए अमेरिका से अधिक तेल, गैस और सैन्य उपकरण खरीदने चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत पर जवाबी शुल्क लगाने से अमेरिका पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ट्रंप ने संकेत दिया कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते पर बात चल रही है, जिसमें जवाबी शुल्क पर एक सीमित समझौता हो सकता है। यह समझौता अप्रैल में होने की संभावना है।
अमेरिका की जवाबी कार्रवाई का हिस्सा
अमेरिका पहले ही इस्पात और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा चुका है, जो कि अमेरिका की जवाबी कार्रवाई का हिस्सा नहीं है। GTRI ने यह भी बताया कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका किस प्रकार के उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाएगा। क्या यह सिर्फ विशिष्ट उत्पादों पर लागू होगा या फिर पूरे क्षेत्र पर? इसका निर्णय अप्रैल 2025 के बाद हो सकता है।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
अमेरिका 2024-25 के दौरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है, और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 82.52 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच चुका है। इसमें 52.89 अरब डॉलर का निर्यात और 29.63 अरब डॉलर का आयात शामिल है, जिससे भारत को 23.26 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष प्राप्त हुआ है। इससे पहले, 2021-24 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा था। अमेरिका भारत के उन देशों में से है जिनसे भारत को व्यापार अधिशेष मिलता है, और 2023-24 में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार 119.71 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था। इसमें 77.51 अरब डॉलर का निर्यात और 42.19 अरब डॉलर का आयात शामिल है, जिससे भारत को 35.31 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष प्राप्त हुआ है।
भारत की आर्थिक स्थिति हो रही मजबूत
व्यापार अधिशेष का मतलब यह है कि भारत का निर्यात उसके आयात से अधिक है, और इससे भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। हालांकि, जवाबी शुल्क लगाने के अमेरिकी कदम के बावजूद, भारत के निर्यात की विविधता और दोनों देशों के व्यापार के अंतर के कारण इस कदम का असर बहुत सीमित रहेगा।