Edited By Rahul Rana,Updated: 29 Nov, 2024 04:18 PM
भारत के जर्मनी में राजदूत अजीत गुप्ते ने हाल ही में बड़ा खुलासा करते हुए भारत और जर्मनी के व्यापारिक रिश्तों पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जर्मन कंपनियां अब भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक महत्वपूर्ण और संभावित गंतव्य मान...
नेशनल डेस्क। भारत के जर्मनी में राजदूत अजीत गुप्ते ने हाल ही में बड़ा खुलासा करते हुए भारत और जर्मनी के व्यापारिक रिश्तों पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जर्मन कंपनियां अब भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक महत्वपूर्ण और संभावित गंतव्य मान रही हैं खासकर कोविड-19 महामारी और वैश्विक संघर्षों के बाद की परिस्थितियों में।
इस मौके पर गुप्ते ने बताया कि महामारी और संघर्षों के कारण यूरोप और जर्मनी में यह समझ बढ़ी है कि अब वे अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को एक ही देश पर निर्भर नहीं कर सकते। अब वे अधिक लचीले और जोखिम को कम करने वाली आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। जर्मनी की कंपनियां अब भारत के साथ-साथ मलेशिया, थाईलैंड और मैक्सिको जैसे देशों पर भी विचार कर रही हैं।
इसके अलावा गुप्ते ने जर्मनी में श्रमिकों की कमी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि जर्मनी में जनसांख्यिकी संकट है जहां बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है और श्रमिकों की कमी हो रही है। इस समस्या को हल करने के लिए जर्मनी ने भारतीय कुशल श्रमिकों के लिए वीजा कोटा बढ़ाकर 90,000 कर दिया है। इससे भारतीयों को न केवल उच्च-स्तरीय क्षेत्रों जैसे आईटी और वित्त में बल्कि मध्यम और निम्न-स्तरीय क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर मिलेंगे।
वहीं गुप्ते ने यह भी बताया कि जर्मनी की कई 'मिटेलस्टैंड' (मध्यम आकार की कंपनियां) जो वैश्विक प्रौद्योगिकी में अग्रणी हैं अब भारत के साथ साझेदारी और तकनीकी सहयोग की तलाश कर रही हैं। ये कंपनियां अब नए बाजारों में प्रवेश करने और भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम करने के अवसरों को देख रही हैं। इसके अलावा इन कंपनियों में उत्तराधिकार का संकट भी है जिससे भारतीय कंपनियों के लिए अधिग्रहण के अवसर खुल सकते हैं।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि इन सभी अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारतीय कंपनियों को कुछ शोध, विश्वास और जोखिम लेने की आवश्यकता होगी। इस प्रकार जर्मनी के राजदूत अजीत गुप्ते ने भारतीय कंपनियों के लिए जर्मन बाजार में बढ़ते अवसरों और दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को मजबूती प्रदान करने की दिशा में भारत के लिए नए अवसरों पर प्रकाश डाला।