सर्जिकल स्ट्राइक के समय तेंदुए का मल-मूत्र साथ लेकर गए थे भारतीय सेना के जांबाज, दिलचस्प है वजह

Edited By Seema Sharma,Updated: 29 Sep, 2020 09:57 AM

indian army carried leopard feces and urine during surgical strike

साल 2016 में भारतीय सेना के जाबांजों द्वारा पाकिस्तान अधिकृत PoK में आतंकियों पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की गूंज आज तक है। जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में LoC के पास भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। उरी अटैक को...

नेशनल डेस्कः साल 2016 में भारतीय सेना के जाबांजों द्वारा पाकिस्तान अधिकृत PoK में आतंकियों पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की गूंज आज तक है। जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में LoC के पास भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। उरी अटैक को भारतीय सेना पर सबसे बड़े हमलों में से एक माना गया। 18 सितंबर 2016 को हुए उरी हमले में सीमा पार बैठे आतंकियों का हाथ बताया गया। भारत ने इस हमले का बदला लेने के लिए 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।

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कमांडर ने सुनाया दिलचस्प किस्सा
सर्जिकल स्ट्राइक से भारतीय जवानों ने पूरी दुनिया को को अपनी ताकत और साहस का एहसास करवाया। भारतीय सुरक्षा बलों ने सीमा पार करके पाकिस्तान के खिलाफ इस ऑप्रेशन को अंजाम दिया था। वहीं इस ऑप्रेशन में शामिल पूर्व नगरोटा कॉर्प्स कमांडर ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने इससे जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा सुनाया है। साल 2018 में पुणे के थोर्ले बाजीराव पेशवे प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में  ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर के योगदान के लिए उनको सम्मानित किया गया था। इस दौरान कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक से पहले उस इलाके को लेकर हर चीज पर बारीकी से पड़ताल की गई कि कब और कैसे अपने प्लान को अंजाम देना है। उन्होंने बताया तब रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने हमसे ऑपरेशन को लेकर एक हफ्ते तक इस पर गहन अभ्यास करने को कहा ताकि कोई चूक न हो।

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पूर्व नगरोटा कॉर्प्स कमांडर ने बताया कि जब हमने इस पर स्टडी की तो देखा कि पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर जाने के बाद कुत्तों का डर होगा, जो हमला भी कर सकते हैं। ऐसे में कुत्तों को शांत करने के लिए जवान अपने साथ तेंदुए का मल-मूत्र ले गए। उन्होंने बताया कि तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला कर देते है जिस कारण उनके होने के आभास से ही कुत्ते कोसों दूर रहते हैं। तेंदुए के डर से रात को कुत्ते बस्तियों में चले जाते हैं। जब हमने सीमा पार करनी थी तो रास्ते में गांव भी आने थे और हमारी आहट से कुत्ते सतर्क होकर भौंकना शुरू कर सकते थे। उनसे निपटने के लिए सेना की टुकड़ियां तेंदुए का मल-मूत्र लेकर गईं और उसे गांव के बाहर छिड़कती गईं। हमारा यह प्लान भी काम कर गया और कुत्ते गांव की सीमा तक नहीं आए।

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जवानों को एक दिन पहले बताया प्लान
राजेंद्र निंबोरकर ने आगे बताया कि हमारी टुकड़ी एक हफ्ते तक हमले का अभ्यास करती रही लेकिन जवानों को यह नहीं बताया गया कि हमला कहां करना है। सर्जिकल स्ट्राइक से एक दिन पहले जवानों को इसकी जानकारी दी गई। हमले का समय तड़के 3:30 चुना गया। हमारी सेना की टुकड़ियां सुरक्षित सीमा पार पहुंच गईं और आतंकियों के लॉन्च पैड्स को चिह्नित कर हमला कर दिया। उन्होंने बताया कि हमारे जवानों ने  तीन पैड्स और 29 आतंकियों को मार दिया, हमारे सुरक्षाबलों ने इसका वीडियो भी बनाया। ले. जनरल राजेंद्र निंबोरकर कहा कि पाकिस्तान हमारे इस ऑप्रेशन से भौंच्चका रह गया था। उसको हमारी तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक एक मैसेज था कि भारतीय सेना कुछ भी कर सकती है।

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