भारतीय सेना ने 'Sabal' लॉजिस्टिक्स ड्रोन को तैनात किया, ऊबड़-खाबड़ इलाकों में परिचालन क्षमता में वृद्धि

Edited By Mahima,Updated: 29 Nov, 2024 03:13 PM

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भारतीय सेना ने IIT कानपुर द्वारा विकसित सबल 20 लॉजिस्टिक्स ड्रोन को तैनात किया, जो उच्च-ऊंचाई वाले और कठिन इलाकों में रसद कार्यों को बेहतर बनाएगा। यह ड्रोन 20 किलोग्राम पेलोड और VTOL तकनीक के साथ उन्नत स्टेल्थ क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा, IIT...

नेशनल डेस्क: भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित सबल 20 लॉजिस्टिक्स ड्रोन को अपनी तैनाती में शामिल किया है, जो विशेष रूप से उच्च-ऊंचाई वाले और चुनौतीपूर्ण इलाकों में ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाएगा। यह कदम भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी और स्वदेशी विनिर्माण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है। इस ड्रोन को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर द्वारा विकसित किया गया है और इसे भारतीय सेना के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है।

क्या है 'सबल 20' ड्रोन?
सबल 20 ड्रोन एक इलेक्ट्रिक मानव रहित हेलीकॉप्टर है, जिसे विशेष रूप से हवाई रसद (air logistics) के लिए डिजाइन किया गया है। इसका वजन 20 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने की क्षमता है, जो इसके अपने वजन के 50% के बराबर है। भविष्य में इसे और अपग्रेड किया जा सकता है। यह ड्रोन वैरिएबल पिच तकनीक पर आधारित है, जिसका मतलब है कि इसके रोटर की पिच (कोण) को जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है, जिससे यह बेहतर प्रदर्शन करता है और ज्यादा भार उठाने की क्षमता देता है।

उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उपयोग
भारतीय सेना ने पूर्वी क्षेत्र में सबल 20 ड्रोन की तैनाती की है, विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर। इस क्षेत्र में सेना की भूमिका उग्रवाद विरोधी अभियानों और मानवीय सहायता/आपदा राहत कार्यों में भी महत्वपूर्ण है। सबल 20 इन क्षेत्रों में रसद सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगा, खासकर उन स्थानों पर जहाँ सड़क या अन्य परिवहन सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

ड्रोन की खासियतें
सबल 20 की डिजाइन चिनूक हेलीकॉप्टर की विरासत पर आधारित है, जिसमें बड़े रोटर और टेंडम रोटर कॉन्फ़िगरेशन (dual rotor system) का उपयोग किया गया है। यह डिजाइन उच्च दक्षता और असाधारण भार वहन क्षमता सुनिश्चित करता है, जिससे यह विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण इलाकों में काम करने के लिए उपयुक्त है।

इसके अलावा, वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (VTOL) तकनीक के कारण यह ड्रोन ऊबड़-खाबड़ और सीमित इलाकों में भी आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है। इसके कम RPM डिज़ाइन से शोर कम होता है और इसकी स्टेल्थ क्षमता बढ़ती है, जो संवेदनशील मिशनों के लिए बेहद उपयोगी है। यह ड्रोन स्वायत्त उड़ान की तकनीक से लैस है, जिससे यह बिना ड्राइवर के भी लंबी दूरी की उड़ानें भर सकता है, यहां तक कि बियॉन्ड विज़ुअल लाइन ऑफ़ साइट (BVLOS) स्थितियों में भी।

IIT कानपुर की नई स्टील्थ तकनीक
आईआईटी कानपुर ने मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम (MSC) भी विकसित किया है, जो स्टील्थ क्षमता में एक नई दिशा प्रदान करता है। यह तकनीक माइक्रोवेव अवशोषक के रूप में कार्य करती है और विभिन्न प्रकार के रडार से छिपने में मदद करती है। इसका उपयोग सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) इमेजिंग के खिलाफ किया जा सकता है, जिससे स्टील्थ क्षमताएं और मजबूत होती हैं।

तकनीकी उन्नति और भविष्य की दिशा
आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित यह मेटामटेरियल तकनीक मल्टीस्पेक्ट्रल स्टील्थ क्षमताओं को भी बढ़ाती है, जो रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। यह तकनीक मेटा तत्व सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विनिर्माण और तैनाती के लिए लाइसेंस की गई है। सबल 20 लॉजिस्टिक्स ड्रोन और नई स्टील्थ तकनीक भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं, क्योंकि ये दोनों तकनीकें देश की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करती हैं और सेना के ऑपरेशनल कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाती हैं। उच्च-ऊंचाई वाले इलाकों में तेजी से रसद पहुंचाना, उग्रवाद विरोधी अभियानों में सहायता और आपदा राहत कार्यों के लिए इन तकनीकों का योगदान महत्वपूर्ण रहेगा।

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