Edited By Parveen Kumar,Updated: 10 Jan, 2025 07:53 PM
भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। 10 जनवरी को एक डॉलर की कीमत 85.97 रुपये तक पहुंच गई। इससे पहले 9 जनवरी को भी रुपया कमजोर हुआ था, जब एक डॉलर 85.93 रुपये का हो गया था।
नेशनल डेस्क : भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। 10 जनवरी को एक डॉलर की कीमत 85.97 रुपये तक पहुंच गई। इससे पहले 9 जनवरी को भी रुपया कमजोर हुआ था, जब एक डॉलर 85.93 रुपये का हो गया था। यह तीसरा लगातार दिन था, जब रुपया अपने पिछले रिकॉर्ड से नीचे बंद हुआ। इसके साथ ही, यह दसवां हफ्ता है, जब रुपया लगातार गिर रहा है।
रुपये की गिरावट के कारण
रुपये पर दबाव डालने वाली बड़ी वजह डॉलर की मजबूती और कमजोर निवेश प्रवाह है। डॉलर का इंडेक्स 109 के ऊपर बना हुआ है, जो दो साल का उच्चतम स्तर है। अमेरिकी नॉन-फार्म पेरोल डेटा का बाजार इंतजार कर रहा है, जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दरों में कटौती की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देशों के तहत कुछ सरकारी बैंकों ने डॉलर बेचा, जिससे रुपये की गिरावट कुछ हद तक नियंत्रित हुई है।
आगे भी रुपये पर दबाव
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भी रुपये पर दबाव बना रह सकता है। मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा कि घरेलू बाजारों की कमजोर स्थिति, मजबूत डॉलर, विदेशी निवेशकों की निकासी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें रुपये को और कमजोर कर सकती हैं।
आरबीआई की मदद से स्थिरता
डॉलर की मजबूती और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, रुपये पर दबाव है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक के नियमित हस्तक्षेप से रुपये की गिरावट को सीमित करने में मदद मिल रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक आर्थिक हालात और घरेलू कारणों के चलते भारतीय रुपया कमजोर रह सकता है।