Edited By Parveen Kumar,Updated: 17 Jan, 2025 05:31 PM
भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) ने 2025-26 के लिए भारत के आर्थिक परिदृश्य को लेकर आशावादी रुख अपनाया है। फिक्की का कहना है कि सरकार का ध्यान पूंजीगत खर्च पर बना रहेगा, जिससे विकास को गति मिलेगी। इसके अलावा, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि से भी...
नेशनल डेस्क : भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) ने 2025-26 के लिए भारत के आर्थिक परिदृश्य को लेकर आशावादी रुख अपनाया है। फिक्की का कहना है कि सरकार का ध्यान पूंजीगत खर्च पर बना रहेगा, जिससे विकास को गति मिलेगी। इसके अलावा, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि से भी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
फिक्की की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे जैसे सड़क, आवास, रेलवे और रसद में निवेश से विकास को और बढ़ावा मिलेगा। कृषि क्षेत्र में सुधार से उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की खपत में सुधार हो सकता है।
खाद्य मुद्रास्फीति, जो पिछले एक साल से उच्च बनी हुई है, में भी कमी आने की उम्मीद है। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में कमी से खपत को और प्रोत्साहन मिल सकता है।
फिक्की ने अनुमान जताया कि 2025-26 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 6.5 से 6.9 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। साथ ही, 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है, जो एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है।
फिक्की ने यह भी कहा कि अमेरिकी नीतियों के कारण कुछ अल्पकालिक व्यवधान हो सकते हैं, जैसे निर्यात, पूंजी प्रवाह और आपूर्ति श्रृंखलाओं में रुकावट। हालांकि, भारत को चीन से अलग वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लाभ मिलने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों ने भारत को अमेरिकी आयातों पर शुल्क कम करने पर विचार करने की सलाह दी है, जिससे जोखिमों को कम किया जा सके और अवसरों को अधिकतम किया जा सके।