Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 Mar, 2025 11:09 AM

भारतीय नौसेना को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों में एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने ‘तवस्या’ नामक युद्धपोत को लॉन्च किया। ‘तवस्या’ नाम महाभारत के महाबली भीम की गदा से लिया गया है जो अदम्य शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक...
नेशनल डेस्क। भारतीय नौसेना को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों में एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने ‘तवस्या’ नामक युद्धपोत को लॉन्च किया। ‘तवस्या’ नाम महाभारत के महाबली भीम की गदा से लिया गया है जो अदम्य शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। यह युद्धपोत परियोजना 1135.6 के अतिरिक्त फॉलो-ऑन जहाजों में दूसरा फ्रिगेट है।
पहला युद्धपोत ‘त्रिपुट’ 24 जुलाई को हुआ था लॉन्च
जनवरी 2019 में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के बीच दो अतिरिक्त युद्धपोत बनाने का समझौता हुआ था। इस योजना के तहत पहला युद्धपोत ‘त्रिपुट’ 24 जुलाई को लॉन्च किया गया था। अब ‘तवस्या’ के लॉन्च के साथ इस परियोजना को आगे बढ़ाया गया है। इन युद्धपोतों का निर्माण पहले बने P1135.6 फ्रिगेट्स की तर्ज पर किया गया है लेकिन खास बात यह है कि इन्हें पूरी तरह से भारतीय शिपयार्ड में ही तैयार किया जा रहा है।

‘तवस्या’ की विशेषताएं
विशेषज्ञों के मुताबिक यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत और आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करता है। इन फ्रिगेट्स को भूमि, पानी के नीचे और हवाई युद्ध अभियानों के दौरान सफलता के साथ तबाही मचाने के लिए डिजाइन किया गया है। ‘तवस्या’ और ‘त्रिपुट’ दोनों ही लगभग 125 मीटर लंबे हैं और इनकी गहराई (ड्राफ्ट) 4.5 मीटर है। इनका कुल वजन लगभग 3600 टन है और ये 28 नॉट की रफ्तार से चल सकते हैं।

स्टील्थ तकनीक से लैस युद्धपोत
यह युद्धपोत स्टील्थ तकनीक से लैस हैं जिससे इनकी पहचान करना मुश्किल होता है। इसके अलावा इन युद्धपोतों में आधुनिक हथियार, सेंसर और प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है जो इनकी जंगी क्षमता को और भी बढ़ा देता है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बनाए गए ‘त्रिपुट’ और ‘तवस्या’ में भारतीय निर्माताओं द्वारा तैयार किए गए उपकरणों और हथियारों का इस्तेमाल किया गया है। इससे देश में रक्षा निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है और लोकल इंडस्ट्रीज को मजबूती मिल रही है। इसके अलावा इस परियोजना से रोजगार के नए मौके भी पैदा हो रहे हैं जिससे भारत की आर्थिक और सामरिक स्थिति मजबूत हो रही है।
अंत में बता दें कि यह कदम भारत को वैश्विक रक्षा क्षेत्र में और भी सशक्त बना रहा है और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।