Edited By Parminder Kaur,Updated: 25 Mar, 2025 01:48 PM

भारत अपने मित्र देशों के साथ हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region - IOR) में सहयोग बढ़ाने के लिए पहली बार "इंडियन ओशन शिप सागर (IOS Sagar)" गश्त पर भेजेगा। इस गश्त में भारत सहित 10 देशों की नौसेना के सदस्य क्रू में शामिल होंगे। इसके साथ ही...
नेशनल डेस्क. भारत अपने मित्र देशों के साथ हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region - IOR) में सहयोग बढ़ाने के लिए पहली बार "इंडियन ओशन शिप सागर (IOS Sagar)" गश्त पर भेजेगा। इस गश्त में भारत सहित 10 देशों की नौसेना के सदस्य क्रू में शामिल होंगे। इसके साथ ही समुद्री अभ्यास भी किया जाएगा, जो सुरक्षा और सहयोग को बढ़ाने में सहायक होगा। इस अभ्यास का नाम AIKEYME (अफ्रीका-इंडिया मरीन टाइम इंगेजमेंट) रखा गया है, जिसका संस्कृत में मतलब "एकता" होता है।
भारतीय नौसेना के डिप्टी चीफ वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने बताया कि यह गश्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "SAGAR" विजन के तहत की जा रही है। इसमें भारतीय नौसेना का शिप INS सुनैना तैनात होगा, जो साउथ वेस्ट इंडियन ओशन रीजन में अपनी यात्रा करेगा।
कौन-कौन से देशों के नौसैनिक इसमें शामिल होंगे
इस गश्त में भारत के साथ-साथ 10 देशों की नौसेना के सदस्य हिस्सा लेंगे। इनमें कोमोरोस, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मॉरीशस, मोजाम्बिक, सेशेल्स, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका की नौसेना शामिल होगी। 5 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसे कारावार से फ्लैग ऑफ करेंगे।
INS सुनैना का मिशन
INS सुनैना एक महीने से ज्यादा समय तक तैनात रहेगा और तंजानिया, मोजाम्बिक, मॉरीशस, सेशेल्स और मालदीव के समुद्री क्षेत्रों का दौरा करेगा। यह विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की संयुक्त निगरानी भी करेगा। वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने बताया कि भारत पहले भी EEZ पेट्रोलिंग करता रहा है, लेकिन पहली बार 10 देशों की नौसेना एक साथ EEZ पेट्रोलिंग करेगी। इस से देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा और यह दिखाया जा सकेगा कि सभी देशों की नौसेना एक साथ मिलकर काम कर रही हैं।
AIKEYME अभ्यास
इस गश्त के दौरान 13 से 18 अप्रैल तक तंजानिया के दार-एस-सलाम में AIKEYME एक्सरसाइज का आयोजन किया जाएगा। यह अभ्यास नौसेना और समुद्री एजेंसियों के बीच इंटर ऑपरेबिलिटी बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाएगा। इसे भारतीय नौसेना और तंजानिया पीपुल्स डिफेंस फोर्स (TPDF) द्वारा होस्ट किया जाएगा। इस गश्त और अभ्यास के माध्यम से भारत और उसके मित्र देशों के बीच समुद्री सहयोग और सुरक्षा को एक नई दिशा मिलेगी।