Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 14 Apr, 2025 01:23 PM
भारत एक बड़े भूगर्भीय खतरे की ओर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट अब दो हिस्सों में टूटने लगी है, और ये प्रक्रिया भविष्य में देश को विनाशकारी भूकंप की चपेट में ला सकती है।
नेशनल डेस्क: भारत एक बड़े भूगर्भीय खतरे की ओर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट अब दो हिस्सों में टूटने लगी है, और ये प्रक्रिया भविष्य में देश को विनाशकारी भूकंप की चपेट में ला सकती है। नई स्टडी के मुताबिक, धरती के अंदर चल रही यह हलचल सिर्फ प्लेटों की हलकी-फुलकी गतिविधि नहीं, बल्कि ऐसी गंभीर प्रक्रिया है जो हिमालय से लेकर तिब्बती पठार तक के भूगोल और जीवन को बदल सकती है। इस डरावनी रिपोर्ट में बताया गया है कि धरती की सतह के नीचे भारतीय प्लेट एक अनोखी प्रक्रिया से गुजर रही है, जिससे उसके दो टुकड़े हो रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह प्रक्रिया तेज हुई तो भारत में आने वाले सालों में भयंकर भूकंपों की श्रृंखला देखने को मिल सकती है।
क्या हो रहा है धरती के नीचे?
वैज्ञानिकों के अनुसार भारतीय प्लेट करीब 6 करोड़ सालों से यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। इस टकराव के कारण ही हिमालय जैसे विशाल पर्वत बने हैं। लेकिन अब भारतीय प्लेट के अंदर एक नई प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिसे डेलैमिनेशन (Delamination) कहा जाता है। इस प्रक्रिया में प्लेट का घना हिस्सा यानी उसका भारी भाग धरती के अंदर मौजूद मेंटल में धंसता जा रहा है। इससे प्लेट के बीच दरारें बन रही हैं और वो दो हिस्सों में टूट रही है।
डेलैमिनेशन: खतरे की घंटी क्यों है?
डेलैमिनेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो टेक्टोनिक प्लेट की स्थिरता को हिला देती है। जब एक प्लेट के हिस्से अंदर धंसते हैं, तो सतह पर तनाव (Stress) बनने लगता है। यह तनाव इतना अधिक हो सकता है कि कभी भी उसे झटका देने के लिए एक भूकंप आ जाए। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूवैज्ञानिक साइमन क्लेम्परर के अनुसार, जब दो महाद्वीपों के बीच तीव्र दबाव होता है, तो प्लेट्स में दरारें आ जाती हैं। और ऐसी दरारें भविष्य में भूकंप को जन्म देती हैं।
हिमालय और तिब्बत – खतरे की रेखा पर
इस भूवैज्ञानिक हलचल का सबसे अधिक असर हिमालय क्षेत्र और तिब्बती पठार पर पड़ सकता है। जहां पहले से ही भूकंपीय गतिविधियां अधिक हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि डेलैमिनेशन की वजह से इन इलाकों में भूकंप की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ सकती हैं। यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट डौवे हिंसबर्गेन के मुताबिक, धरती के भीतर चल रही यह प्रक्रिया इतनी गहरी है कि उसे समझना वैज्ञानिकों के लिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण हो रहा है। फिर भी संकेत साफ हैं – भारत की जमीन अब पहले जैसी नहीं रही।
अब तक क्या मिला है शोध में?
यह शोध हाल ही में ‘अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन’ में प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार:
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भारतीय प्लेट दो हिस्सों में बंटने की कगार पर है
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इसका एक भाग धरती के मेंटल में समा रहा है
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इससे प्लेट के ऊपर मौजूद इलाकों में दरारें और तनाव बढ़ रहे हैं
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यह प्रक्रिया हिमालय से लेकर तिब्बती पठार तक असर डालेगी
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भविष्य में बड़े पैमाने पर भूकंप आ सकते हैं
ये प्रक्रिया नई क्यों है?
डेलैमिनेशन कोई आम टेक्टोनिक हलचल नहीं है। यह भीतर से होने वाला विघटन है जो प्लेट को ऊपर से नहीं, नीचे से तोड़ता है। इससे पहले वैज्ञानिकों को केवल सतही दरारों के संकेत मिलते थे लेकिन अब प्लेट के अंदर ही फूट पड़ रही है। इसका मतलब है कि हमारी धरती की बनावट और उसकी मजबूती को लेकर हम जो समझते थे वो अधूरी है। अब ज़रूरत है इस प्रक्रिया पर और रिसर्च करने की ताकि इससे भविष्य में होने वाले प्रभावों को समय रहते समझा और संभाला जा सके।
क्या हो सकता है आगे?
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अगर डेलैमिनेशन तेज़ होती है तो भारत में और अधिक बड़े भूकंप आ सकते हैं
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हिमालय और उत्तर भारत में भूकंपीय गतिविधियां बढ़ सकती हैं
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तिब्बती पठार में भी गहरी दरारें देखने को मिल सकती हैं
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भारत के भूगोल में बड़े बदलाव संभव हैं
हमें क्या करना चाहिए?
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भूकंप संभावित इलाकों में भवन निर्माण के लिए भूकंपरोधी तकनीक अपनाएं
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आपातकालीन तैयारी रखें – फर्स्ट ऐड, टॉर्च, पानी और जरूरी सामान
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स्थानीय प्रशासन और वैज्ञानिक संस्थानों की एडवाइजरी को मानें
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इस विषय पर जन-जागरूकता अभियान चलाएं ताकि लोग सतर्क रहें