Edited By Rahul Rana,Updated: 19 Nov, 2024 04:41 PM
भारतीय रेलवे ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली, कवच को दक्षिण मध्य रेलवे के नेटवर्क में सफलतापूर्वक तैनात कर दिया गया है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे...
नेशनल डेस्क। भारतीय रेलवे ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली, कवच को दक्षिण मध्य रेलवे के नेटवर्क में सफलतापूर्वक तैनात कर दिया गया है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रणाली के जरिए भारतीय रेलवे ने न केवल सुरक्षा को और मजबूत किया है बल्कि अपने घरेलू तकनीकी क्षमता को भी साबित किया है।
क्या है कवच प्रणाली?
कवच एक स्वचालित सुरक्षा प्रणाली है, जो ट्रेन की गति को नियंत्रित करती है। अगर लोको पायलट द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती तो यह प्रणाली खुद-ब-खुद ब्रेक लगा देती है। इसका मुख्य उद्देश्य ट्रेनों के बीच टक्कर से बचाव करना और दुर्घटनाओं को रोकना है। यह प्रणाली, मूवमेंट अथॉरिटी, लेवल क्रॉसिंग पर ऑटो-व्हिसलिंग और लोकोमोटिव के बीच सीधे संचार के माध्यम से वास्तविक समय में ट्रेन संचालन की निगरानी करती है। किसी भी आपात स्थिति में, इसमें एसओएस (आपातकालीन) फंक्शन भी है, जो ट्रेन को तुरंत रोका जा सकता है।
कहां-कहां तैनात किया गया है कवच?
कवच को अब तक दक्षिण मध्य रेलवे के कई खंडों पर तैनात किया जा चुका है, जिनमें कुल 1,465 रूट किलोमीटर शामिल हैं। इस प्रणाली को 144 लोकोमोटिव्स पर लागू किया गया है, जिससे सुरक्षा में और भी सुधार हुआ है। कवच को पहले चरण में सनतनगर-विकाराबाद खंड में 63 रूट किलोमीटर पर चालू किया गया है। इसके अलावा कवच 3.2 का संस्करण नागरसोल-मुदखेड़, सिकंदराबाद-कुरनूल और बीदर-परभणी सहित कई अन्य खंडों में लगाया गया है।
कवच 4.0 की मंजूरी
कवच के विकास के बाद अब कवच का नया संस्करण कवच 4.0 भी स्वीकृत हो गया है। भारतीय रेलवे के अनुसार, यह संस्करण जल्द ही 10,000 इंजनों में स्थापित किया जाएगा, जिससे रेलवे नेटवर्क में सुरक्षा व्यवस्था और भी सुदृढ़ होगी। कवच 4.0 में पहले के संस्करणों से मिली फीडबैक और अनुभवों को शामिल किया गया है, ताकि ट्रेन संचालन में और सुधार हो सके।
कवच का इतिहास
कवच की शुरुआत 2014-15 में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हुई थी। इसके बाद कई वर्षों तक इसके परीक्षण और सुधार के काम किए गए। जुलाई 2020 तक इसे राष्ट्रीय एटीपी (ऑटोमेटेड ट्रेन प्रोटेक्शन) प्रणाली के रूप में घोषित किया गया। और अब जुलाई 2024 में कवच 4.0 के विनिर्देशों को मंजूरी दी गई है।
आगे की योजना
भारतीय रेलवे की योजना है कि कवच को जल्द ही पूरे देश में लागू किया जाए। कवच प्रणाली का यह नवीनतम संस्करण आने वाले वर्षों में भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रौद्योगिकियों में और भी सुधार करेगा और पूरे राष्ट्रीय रेल नेटवर्क में इसकी तैनाती को तेज करेगा। बता दें कि स्वदेशी कवच प्रणाली भारतीय रेलवे के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है। यह न केवल रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाएगा, बल्कि देश की आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देगा।