Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 Mar, 2025 01:20 PM

भारतीय रेलवे अपने स्टेशनों और ट्रेनों में बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक नए सिस्टम पर काम कर रहा है। इसके तहत अब ट्रेन की सीट क्षमता के हिसाब से ही टिकट बेचे जाएंगे। इस नई व्यवस्था में रिजर्व और जनरल दोनों श्रेणियों के टिकटों पर नियंत्रण रखा...
नेशनल डेस्क। भारतीय रेलवे अपने स्टेशनों और ट्रेनों में बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक नए सिस्टम पर काम कर रहा है। इसके तहत अब ट्रेन की सीट क्षमता के हिसाब से ही टिकट बेचे जाएंगे। इस नई व्यवस्था में रिजर्व और जनरल दोनों श्रेणियों के टिकटों पर नियंत्रण रखा जाएगा।
जनरल टिकटों पर होगा नया बदलाव
नई प्रणाली के तहत जनरल टिकटों की बिक्री ट्रेन की सीटों की संख्या से डेढ़ गुना तक ही की जाएगी। इसका मतलब है कि अब जनरल बोगियों में सीटों की क्षमता से ज्यादा यात्री सफर नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही जनरल टिकटों पर अब ट्रेन का नंबर भी दर्ज किया जाएगा जो पहले नहीं होता था।
अभी तक रेलवे अनलिमिटेड जनरल टिकट जारी करता है जिससे जनरल बोगियों में 3 से 4 गुना ज्यादा यात्री सफर करते हैं जिससे प्लेटफॉर्म्स और स्टेशनों पर अत्यधिक भीड़ हो जाती है। खासकर त्योहारों के दौरान यात्री टॉयलेट में खड़े होकर यात्रा करने को मजबूर हो जाते हैं।
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रियल टाइम डेटा से होगी बेहतर निगरानी
नई व्यवस्था के तहत रेलवे अब टिकटों की बिक्री का रियल टाइम डेटा ट्रैक करेगा। इससे रेलवे को ट्रेनों में यात्रियों की संख्या पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा और भीड़ को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। स्टेशन प्रबंधकों को टिकट बिक्री पर नियंत्रण रखने का अधिकार भी मिलेगा।
स्टेशन प्रबंधक को मिलेगा टिकट बिक्री पर नियंत्रण
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार स्टेशन प्रबंधकों को अब टिकट बिक्री को नियंत्रित करने का अधिकार होगा। वे अपनी-अपनी स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या और क्षमता के आधार पर टिकट बिक्री को रोकने का निर्णय ले सकेंगे।
जनरल टिकटों की बिक्री पर होगा नियंत्रण
वर्तमान में यात्री यात्रा से 24 घंटे पहले जनरल टिकट खरीद सकते हैं और किसी भी ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं लेकिन नई व्यवस्था के तहत जनरल टिकटों की संख्या सीमित की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य ट्रेनों और स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करना है।
नई व्यवस्था लागू होने में 4 से 6 महीने का समय
अधिकारियों के मुताबिक यह नई प्रणाली अगले 4 से 6 महीनों में पूरी तरह से लागू हो जाएगी। इससे न सिर्फ यात्री प्रबंधन में सुधार होगा बल्कि यात्रियों को बेहतर सुविधाएं भी मिल सकेंगी।