Indian Railways: चादर और कंबल की धुलाई की प्रक्रिया पर चौंकाने वाला खुलासा, RTI ने दिया जवाब

Edited By Mahima,Updated: 22 Oct, 2024 09:27 AM

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भारतीय रेलवे ने RTI के तहत बताया कि एसी कोच में चादरें हर बार उपयोग के बाद धोई जाती हैं, जबकि ऊनी कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है। यात्रियों से इन सुविधाओं के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता। रेलवे के पास 46 विभागीय और 25 बूट...

नेशनल डेस्क:  भारतीय रेलवे में एसी कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए चादरें और कंबल की धुलाई को लेकर हाल ही में एक RTI (सूचना के अधिकार) के तहत जानकारी प्राप्त हुई है। रेल मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि ट्रेन में यात्रियों को दिए जाने वाले लिनन, जैसे चादरें और तकिए के कवर, हर बार उपयोग के बाद धोए जाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि यात्रियों को साफ और ताजा लिनन प्राप्त हो।

कंबलों की धुलाई की प्रक्रिया
हालांकि, ऊनी कंबलों की धुलाई की प्रक्रिया कुछ अलग है। इन कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है। अधिकतम दो बार धोने की व्यवस्था भी की जा सकती है, लेकिन यह मुख्य रूप से कंबल की स्थिति पर निर्भर करता है। रेलवे के हाउसिंग स्टाफ ने बताया कि कंबलों को तब लॉन्ड्री के लिए भेजा जाता है जब वे दागदार या बदबूदार होते हैं। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कंबलों को नियमित रूप से धोने का कोई निश्चित समय नहीं है; बल्कि, इन्हें उनकी स्थिति के आधार पर ही साफ किया जाता है। इस तरह से रेलवे ने यात्रियों के स्वास्थ्य और सफाई को प्राथमिकता दी है।

शुल्क की जानकारी
रेल मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि चादर, कंबल, और तकिए के कवर जैसी सुविधाओं के लिए यात्रियों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है। ये सभी सुविधाएं ट्रेन के किराए में शामिल होती हैं। हालांकि, कुछ विशेष ट्रेनों, जैसे गरीब रथ और दुरंतो, में यात्रियों को टिकट बुक करते समय बेडरोल का विकल्प चुनने की सुविधा दी जाती है। यदि यात्री इस विकल्प को चुनते हैं, तो उन्हें प्रति किट के लिए कुछ अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होता है।

लॉन्ड्री की सुविधाएं
भारतीय रेलवे के पास पूरे देश में 46 विभागीय लॉन्ड्री और 25 बूट लॉन्ड्री हैं। विभागीय लॉन्ड्री का अर्थ है कि इसमें आवश्यक भूमि और वॉशिंग मशीन रेलवे के स्वामित्व में होती हैं, लेकिन इनका संचालन करने वाले कर्मचारी अनुबंध पर नियुक्त किए जा सकते हैं। दूसरी ओर, बूट लॉन्ड्री रेलवे की भूमि पर स्थापित होती हैं, लेकिन इनकी वॉशिंग सुविधाओं और कर्मचारियों का प्रबंधन निजी ठेकेदार द्वारा किया जाता है। यह प्रणाली रेलवे को अधिक प्रभावी ढंग से संचालन करने और यात्रियों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में मदद करती है। इस जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधाओं और सफाई को लेकर गंभीर है। चादर और कंबल की धुलाई की नियमित प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि यात्रियों को एक साफ और स्वच्छ वातावरण में यात्रा करने का अनुभव मिले। भारतीय रेलवे के प्रयास यात्रियों की सुरक्षा और संतोष के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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