Edited By Rohini Oberoi,Updated: 03 Mar, 2025 04:28 PM
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भारतीय रेलवे पर्यावरण को सुरक्षित रखने और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए 2030 तक नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इस मिशन के तहत रेलवे विभिन्न ऊर्जा स्रोतों जैसे परमाणु, सौर, जलविद्युत, पवन और तापीय ऊर्जा का उपयोग करने...
नेशनल डेस्क। भारतीय रेलवे पर्यावरण को सुरक्षित रखने और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए 2030 तक नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इस मिशन के तहत रेलवे विभिन्न ऊर्जा स्रोतों जैसे परमाणु, सौर, जलविद्युत, पवन और तापीय ऊर्जा का उपयोग करने की रणनीति तैयार कर रहा है।
2030 तक रेलवे को 10 गीगावाट (GW) बिजली की जरूरत होगी
2030 तक रेलवे की कुल 10 गीगावाट (GW) बिजली की आवश्यकता होगी जिसे अलग-अलग स्रोतों से पूरा किया जाएगा:
➤ परमाणु और थर्मल (कोयला आधारित) ऊर्जा से 3 GW
➤ सौर, जलविद्युत और अन्य अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 3 GW
➤ बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) से शेष 4 GW
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जल्द ही 95% ट्रेनें बिजली से चलेंगी
रेलवे अधिकारी के अनुसार 2025-26 तक 95% ट्रेनें पूरी तरह से बिजली से चलने लगेंगी जिससे डीजल पर निर्भरता लगभग खत्म हो जाएगी। इससे रेलवे का कार्बन उत्सर्जन घटकर हर साल 1.37 मिलियन टन रह जाएगा और यह 2030 तक स्थिर रहेगा।
परमाणु और जलविद्युत ऊर्जा से रेलवे को मिलेगी बिजली
रेलवे ने बिजली मंत्रालय से 2 GW परमाणु ऊर्जा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। इसके अलावा 2 GW थर्मल पावर नए संयुक्त उद्यमों और बिजली खरीद समझौतों के जरिए हासिल की जाएगी।
रेलवे 1.5 GW जलविद्युत परियोजनाओं पर भी विचार कर रहा है जिससे पर्यावरण को कम नुकसान होगा और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा।
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डीजल ट्रेनों की संख्या घटी
➤ तीन साल पहले तक 37% ट्रेनें डीजल से चलती थीं लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 10% रह गई है।
➤ 2025-26 में रेलवे का डीजल खर्च ₹9,528.53 करोड़ रहने का अनुमान है जो पिछले 10 वर्षों में सबसे कम होगा।
ग्रीन रेलवे मिशन: रेलवे स्टेशनों पर बढ़ेगी ऊर्जा दक्षता
रेलवे स्टेशनों और उत्पादन इकाइयों को ग्रीन एनर्जी से लैस करने की योजना भी बना रहा है। इससे रेलवे के संचालन में कार्बन उत्सर्जन को और कम किया जाएगा।
बता दें कि भारतीय रेलवे की यह नई ऊर्जा रणनीति देश को स्वच्छ और हरित भविष्य की ओर ले जाएगी। इस योजना के तहत रेलवे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ईंधन खर्च भी बचाएगा। 2030 तक भारतीय रेलवे पूरी तरह से नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल कर सकता है जिससे यह दुनिया के सबसे हरित रेलवे नेटवर्क में से एक बन जाएगा।