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Big Update On Cancer: कैंसर के इलाज में भारतीय वैज्ञानिकों का बड़ा कमाल, अब इलाज में ऐसे मिलेगी मदद

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 08 Apr, 2025 04:19 PM

indian scientists have done a great job in the treatment of cancer

कैंसर के खिलाफ लड़ाई में भारत से आई एक नई और आशाजनक खबर ने उम्मीदों की किरण दिखाई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत काम कर रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज के लिए एक नया...

नेशनल डेस्क: कैंसर के खिलाफ लड़ाई में भारत से आई एक नई और आशाजनक खबर ने उम्मीदों की किरण दिखाई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत काम कर रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज के लिए एक नया तरीका विकसित किया है। इस नए तरीके में चुंबकीय नैनोकणों का उपयोग किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं के इलाज में प्रभावी साबित हो सकता है।

चुंबकीय नैनोकणों का अद्भुत कार्य

इस नई तकनीक को "चुंबकीय हाइपरथर्मिया" के नाम से जाना जाता है। इसमें चुंबकीय नैनोकणों की मदद से कैंसर कोशिकाओं के तापमान को बढ़ाया जाता है, जिससे वे नष्ट हो जाती हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि जब कैंसर कोशिकाओं का तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया जाता है, तो वे गंभीर क्षति झेलती हैं और मरने लगती हैं।

कैसे काम करता है यह तरीका?

इस तकनीक में नैनोक्रिस्टलाइन कोबाल्ट क्रोमाइट चुंबकीय नैनोकणों का उपयोग किया जाता है, जिनमें दुर्लभ-पृथ्वी जीडी डोपेंट सामग्री को शामिल किया गया है। इन नैनोकणों को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है और फिर बाहरी चुंबकीय क्षेत्र के माध्यम से उन्हें गर्म किया जाता है। जब इन नैनोकणों पर वैकल्पिक चुंबकीय क्षेत्र लागू किया जाता है, तो वे गर्मी उत्पन्न करते हैं, जिससे कैंसर कोशिकाओं का तापमान बढ़ जाता है और वे मर जाती हैं।

कैंसर के इलाज में क्यों है यह क्रांतिकारी?

पारंपरिक कैंसर इलाज जैसे कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा में कई दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे बालों का झड़ना, कमजोरी और संक्रमण का खतरा। लेकिन चुंबकीय नैनोकणों की मदद से की जाने वाली यह तकनीक कम दुष्प्रभावों के साथ आती है और यह लक्षित इलाज (targeted therapy) प्रदान करती है, जिससे स्वस्थ कोशिकाएं सुरक्षित रहती हैं।

वैज्ञानिकों की उपलब्धि और भविष्य की उम्मीदें

आईएएसएसटी के वैज्ञानिकों ने पारंपरिक रासायनिक सह-अवक्षेपण मार्ग का उपयोग करके इन चुंबकीय नैनोकणों का संश्लेषण किया है। उनके शोध के निष्कर्ष हाल ही में "नैनोस्केल एडवांसेज" नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं, जो रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, यूके द्वारा प्रकाशित एक प्रतिष्ठित पत्रिका है।

भारत में कैंसर के इलाज में नई उम्मीद

यह खोज न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नई आशा है। अब कैंसर मरीजों को महंगे और दुष्प्रभावी इलाज से राहत मिल सकती है। वैज्ञानिक इस तकनीक को और बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं, ताकि इसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा सके।

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