Edited By Rohini Oberoi,Updated: 09 Mar, 2025 02:33 PM

बड़ी संख्या में भारतीय स्टार्टअप्स अब विदेशों से भारत वापस आ रहे हैं और यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। रेजरपे, उड़ान, पाइन लैब्स और मीशो जैसी कंपनियों ने पहले जो फैसला लिया था उसे पलटते हुए अब उन्होंने अपने मुख्यालय को भारत में स्थानांतरित करने का...
नेशनल डेस्क। बड़ी संख्या में भारतीय स्टार्टअप्स अब विदेशों से भारत वापस आ रहे हैं और यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। रेजरपे, उड़ान, पाइन लैब्स और मीशो जैसी कंपनियों ने पहले जो फैसला लिया था उसे पलटते हुए अब उन्होंने अपने मुख्यालय को भारत में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। ज़ेप्टो ने तो पहले ही यह बदलाव पूरा कर लिया है। इसे "रिवर्स फ़्लिपिंग" के नाम से जाना जा रहा है और इसके पीछे मुख्य कारण बेहतर आईपीओ (इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग) संभावनाएं, आसान नियामक अनुपालन और भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि है।
भारत लौटने का कारण
इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले भारतीय पूंजी बाजार में स्थिरता और उच्च मूल्यांकन की संभावनाएं बढ़ी हैं जिससे स्टार्टअप्स के लिए भारत में लिस्टिंग का विचार आकर्षक हो गया है। एक्सेल के पार्टनर आलोक बथिजा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि 50-60 मिलियन डॉलर के राजस्व वाली एक सॉफ्टवेयर कंपनी अब भारत में सूचीबद्ध हो सकती है जबकि अमेरिका में ऐसी लिस्टिंग के लिए लगभग 500 मिलियन डॉलर के राजस्व की आवश्यकता होती है।
फिनटेक कंपनियों के लिए लाभकारी
भारत में मुख्यालय वापस लाने से कंपनियों के लिए नियामक अनुपालन आसान हो जाता है खासकर फिनटेक स्टार्टअप्स के लिए। इन कंपनियों का अधिकांश राजस्व भारत से ही आता है और ये भारत की वित्तीय प्रणाली के तहत काम करती हैं। पीडब्ल्यूसी के पार्टनर अमित नावका के अनुसार फिनटेक कंपनियों के लिए भारत में मुख्यालय होना एक उचित निर्णय है क्योंकि यह उनके लिए नियामकों के साथ तालमेल बनाना आसान बनाता है।
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घरेलू फंडिंग के बढ़ते विकल्प
पहले विदेशी स्टार्टअप्स के पास वैश्विक निवेशकों और खासकर अमेरिकी वेंचर कैपिटल फर्मों तक आसानी से पहुंच थी लेकिन अब यह आवश्यकता कम हो गई है। भारतीय वेंचर कैपिटल फंड और पारिवारिक ऑफिस अब इन कंपनियों के लिए निवेश के नए रास्ते खोल रहे हैं। इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (IVCA) के सह-अध्यक्ष सिद्धार्थ पई के अनुसार ऐसे स्टार्टअप्स के लिए अपने देश में वापस आकर काम करना अब आसान हो गया है खासकर अगर वे विनियमित क्षेत्रों में हैं।
भारतीय सरकार द्वारा सरल प्रक्रिया
भारत सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए अपनी भारतीय शाखाओं के साथ विलय की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। पहले इसके लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) से मंजूरी प्राप्त करनी होती थी लेकिन अब केवल सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी की आवश्यकता है जिससे इस प्रक्रिया में तेजी आई है।
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प्रमुख कंपनियों की घर वापसी
फोनपे जैसी प्रमुख कंपनियों ने भी सिंगापुर से भारत में अपना पंजीकरण स्थानांतरित किया है और इसके लिए 8,000 करोड़ रुपये का कर चुकाया। फोनपे के सह-संस्थापक समीर निगम ने बताया कि यह निर्णय उनके लिए स्पष्ट था क्योंकि भारत ही उनका मूल बाजार है।
रेजरपे का उदाहरण
रेजरपे जैसी कंपनियों के लिए भारत लौटना एक स्वाभाविक कदम था। रेजरपे ने इस बदलाव के लिए 100 मिलियन डॉलर से अधिक का कर चुका लेकिन इसके सीईओ हर्षिल माथुर का मानना है कि यह निवेश सार्थक है। उनका कहना है कि भारत में सूचीबद्ध होने से कंपनी को स्थानीय बाजार में फायदा होगा, जहां लोग उन्हें बेहतर समझते हैं और जानते हैं।
भारत में स्टार्टअप्स की भविष्यवाणी
भारत के वैश्विक स्टार्टअप हब के रूप में उभरने के साथ यह प्रवृत्ति और भी तेज होने की संभावना है। गोल्डमैन सैक्स के प्रमुख सुनील खेतान को उम्मीद है कि 2025 तक यह गति और बढ़ेगी, और भारत वैश्विक उद्यमिता में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति और मज़बूत करेगा। जैसे-जैसे विनियामक सुधार और घरेलू निवेश के विकल्प बढ़ेंगे भारतीय स्टार्टअप्स का विदेशों में मुख्यालय रखना अतीत की बात हो सकता है।