बचपन में खो दिए माता-पिता, फिर भी नहीं मानी हार... दादा के आशीर्वाद से जीता कांस्य, जानिए कैसा रहा Aman Sehrawat का सफर

Edited By Mahima,Updated: 10 Aug, 2024 10:05 AM

indian wrestler aman sehrawat s inspirational journey

भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के लिए एक और मेडल जीता है। उन्होंने पुरुषों के फ्रीस्टाइल 57 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया।

नेशनल डेस्क: भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के लिए एक और मेडल जीता है। उन्होंने पुरुषों के फ्रीस्टाइल 57 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। अमन ने ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में प्यूर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज को 13-5 से हराया। इस जीत के साथ भारत की मेडल की संख्या अब 6 हो गई है।

माता-पिता का निधन
अमन सहरावत का सफर काफी कठिन रहा है। उनका जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव में हुआ। जब अमन सिर्फ 11 साल के थे, तब उनके जीवन में एक बड़ा तूफान आया। उनकी मां की हार्ट अटैक से मौत हो गई, जब वह केवल 10 साल के थे। इसके कुछ ही समय बाद, उनके पिता का भी निधन हो गया। इस दुखद घटना के बाद अमन और उनकी छोटी बहन पूजा को उनके बड़े चाचा सुधीर सहरावत और एक मौसी की देखभाल में छोड़ दिया गया।

2021 में जीता राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब
इन दुखद परिस्थितियों के बावजूद, अमन ने कुश्ती के प्रति अपने जुनून को नहीं छोड़ा। उनके दादा मांगेराम सहरावत ने उनकी मदद की और उन्हें इन कठिन समय में संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अमन ने कोच ललित कुमार के तहत ट्रेनिंग लेना शुरू किया और धीरे-धीरे कुश्ती में अपनी जगह बनाना शुरू किया। 2021 में अमन ने अपना पहला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब जीता और इसके बाद उनका नाम खेल की दुनिया में उभरने लगा।

कुश्ती टूर्नामेंट में मिला स्वर्ण पदक
2022 के एशियाई खेलों में 57 किलोग्राम भारवर्ग में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2023 में एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर अपने शानदार प्रदर्शन को जारी रखा। इसके बाद जनवरी 2024 में जागरेब ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में भी स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। अमन सहरावत ने पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान बने। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। उनका सफर एक सच्चे प्रेरणा की मिसाल है, जो यह दर्शाता है कि कठिनाइयों के बावजूद अपनी मेहनत और लगन से बड़े सपनों को साकार किया जा सकता है।

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