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AI अपनाने में दुनियाभर में सबसे आगे निकलेंगे भारतीय, Report में हुआ खुलासा

Edited By Rohini,Updated: 09 Jan, 2025 12:22 PM

indians will lead the world in adopting ai report revealed

भारत की कंपनियां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य नई तकनीकों को अपनाने में दुनिया भर से आगे निकलने की तैयारी में हैं। भारतीय कंपनियों का मानना है कि सेमीकंडक्टर्स, कंप्यूटिंग तकनीक और अन्य नए क्षेत्र उनके व्यवसायों को पूरी तरह से बदल सकते हैं। एक...

नेशनल डेस्क। भारत की कंपनियां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य नई तकनीकों को अपनाने में दुनिया भर से आगे निकलने की तैयारी में हैं। भारतीय कंपनियों का मानना है कि सेमीकंडक्टर्स, कंप्यूटिंग तकनीक और अन्य नए क्षेत्र उनके व्यवसायों को पूरी तरह से बदल सकते हैं। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय कंपनियां एआई, रोबोटिक्स और ऊर्जा तकनीक जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश कर रही हैं।

विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट

यह जानकारी विश्व आर्थिक मंच (WEF) की 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2025' रिपोर्ट से सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियों में 35% का मानना है कि सेमीकंडक्टर्स और कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी उनके व्यवसायों को पूरी तरह बदल सकती हैं जबकि दुनियाभर में ऐसा मानने वाली कंपनियों की संख्या सिर्फ 20% है। इसी तरह 21% भारतीय नियोक्ता क्वांटम और एन्क्रिप्शन तकनीक को महत्वपूर्ण मानते हैं जबकि वैश्विक आंकड़ा 12% है।

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नौकरियों में बढ़ोतरी की संभावना

रिपोर्ट के अनुसार भारत में बिग डेटा, एआई, मशीन लर्निंग और सुरक्षा प्रबंधन के विशेषज्ञों की नौकरियों में तेजी से वृद्धि होगी। इसके अलावा भारतीय कंपनियां प्रतिभाओं की कमी से निपटने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। 67% कंपनियां नए टैलेंट पूल पर फोकस कर रही हैं जबकि 30% कंपनियां डिग्री की शर्तें हटाकर स्किल्स पर अधिक ध्यान दे रही हैं। दुनिया भर में यह आंकड़ा क्रमशः 47% और 19% है।

2030 तक भारत में क्या होगा बदलने वाला?

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक भारत में डिजिटल तकनीक का विस्तार, जलवायु बदलाव से जुड़े कदम और भू-राजनीतिक तनाव के कारण नौकरियों के स्वरूप में बदलाव आएगा। इसके अलावा भारत की युवा आबादी का रोजगार बाजार में बड़ा योगदान रहेगा। भविष्य में ग्लोबल वर्कफोर्स में भारत और अफ्रीका जैसे देशों से दो-तिहाई लोग होंगे।

एआई में बढ़ेगी कौशल की मांग 

भारत और अमेरिका में एआई स्किल्स की डिमांड बढ़ेगी। जबकि अमेरिका में लोग खुद एआई की पढ़ाई में रुचि दिखा रहे हैं वहीं भारत में कंपनियां अपने कर्मचारियों को एआई सिखाने के लिए निवेश कर रही हैं।

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नौकरियों में बदलाव

डब्ल्यूईएफ के अनुसार अगले पांच वर्षों में कृषि मजदूरों और वाहन चालकों की मांग बढ़ेगी। डिलीवरी सेवाओं में वृद्धि के कारण ड्राइवरों की संख्या में वृद्धि होगी। वहीं एआई के कारण कैशियर और टिकट क्लर्क जैसी नौकरियों में कमी आ सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक 17 करोड़ नई नौकरियां सृजित होंगी जबकि 9.2 करोड़ को नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है।

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स्किल्स गैप: सबसे बड़ी चुनौती

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लगभग 40% मौजूदा स्किल्स में बदलाव की जरूरत होगी। 63% नियोक्ता मानते हैं कि यही सबसे बड़ा रोड़ा है जो उनके व्यवसाय को बदलने में आड़े आ सकता है। भविष्य की नौकरियां उन लोगों के पास होंगी जो नई तकनीकों और स्किल्स को अपनाने के लिए तैयार हैं। भारत इस बदलाव में न केवल शामिल है बल्कि कई मायनों में अग्रणी भी है।

वहीं यह रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत में भविष्य की नौकरियों और तकनीकों को लेकर सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं और भारतीय कंपनियां नई तकनीकों को अपनाने में दुनिया भर से आगे निकलने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।

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