इंदौर के किसान भाई ने कर दिया कमाल, अपने घर के कमरे में बिना मिट्टी के उगा दिया केसर

Edited By rajesh kumar,Updated: 10 Nov, 2024 01:12 PM

indore farmer grew saffron in a room of his house without soil

देश में केसर का उत्पादन खासकर कश्मीर में होता है, लेकिन बर्फीली वादियों वाले इस क्षेत्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर इंदौर के एक प्रगतिशील किसान ने ‘एयरोपॉनिक्स' पद्धति की मदद से अपने घर के कमरे में बिना मिट्टी के केसर उगाया है।

नेशनल डेस्क: देश में केसर का उत्पादन खासकर कश्मीर में होता है, लेकिन बर्फीली वादियों वाले इस क्षेत्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर इंदौर के एक प्रगतिशील किसान ने ‘एयरोपॉनिक्स' पद्धति की मदद से अपने घर के कमरे में बिना मिट्टी के केसर उगाया है। किसान के घर की दूसरी मंजिल के इस कमरे में इन दिनों केसर के बैंगनी रंग के खूबसूरत फूलों की बहार है। नियंत्रित वातावरण वाले कमरे में केसर के पौधे प्लास्टिक की ट्रे में रखे गए हैं। ये ट्रे खड़ी रैक में रखी गई हैं ताकि जगह का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके।

जानें कैसे मिली उत्पादन की प्रेरणा
केसर उत्पादक अनिल जायसवाल ने रविवार को बताया, ‘‘मैं कुछ साल पहले अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने गया था। वहां पम्पोर में केसर के खेत देखकर मुझे इसके उत्पादन की प्रेरणा मिली।'' जायसवाल ने बताया कि उन्होंने अपने घर के कमरे में केसर उगाने के लिए ‘एयरोपॉनिक्स' तकनीक के उन्नत उपकरणों से तापमान, आर्द्रता, प्रकाश और कार्बन डाइऑक्साइड का नियंत्रित वातावरण तैयार किया ताकि केसर के पौधों को कश्मीर जैसी मुफीद आबो-हवा मिल सके। उन्होंने बताया कि 320 वर्ग फुट के कमरे में केसर की खेती का बुनियादी ढांचा तैयार करने में उन्हें करीब 6.50 लाख रुपये की लागत आई।

पूरा परिवार बंटाता है हाथ 
जायसवाल ने बताया कि उन्होंने केसर के एक टन बीज (बल्ब) कश्मीर के पम्पोर से मंगाए थे और इसके फूलों से वह इस मौसम में 1.50 से दो किलोग्राम केसर प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘‘ मैंने अपने घर के कमरे के नियंत्रित वातावरण में केसर के ये बल्ब सितंबर के पहले हफ्ते में रखे थे और अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से इन पर फूल खिलने लगे।'' केसर की खेती में जायसवाल का पूरा परिवार उनका हाथ बंटाता है। यह परिवार केसर के पौधों को गायत्री मंत्र और पक्षियों की चहचहाहट वाला संगीत भी सुनाता है। इसके पीछे परिवार का अपना फलसफा है।

पेड़-पौधों में भी जान होती है- पत्नी कल्पना
जायसवाल की पत्नी कल्पना ने कहा, ‘‘पेड़-पौधों में भी जान होती है। हम केसर के पौधों को संगीत सुनाते हैं ताकि बंद कमरे में रहने के बावजूद उन्हें महसूस हो कि वे प्रकृति के नजदीक हैं।'' केसर, दुनिया के सबसे महंगे मसालों में एक है और अपनी ऊंची कीमत के लिए इसे ‘‘लाल सोना'' भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल भोजन के साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों और दवाओं में भी किया जाता है। भारत में केसर की बड़ी मांग के मुकाबले इसका उत्पादन कम होता है। नतीजतन भारत को ईरान और दूसरे देशों से इसका आयात करना पड़ता है।

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