सिंधु जल संधि: पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल पनबिजली परियोजनाओं के निरीक्षण के लिए पहुंचा जम्मू

Edited By Tanuja,Updated: 24 Jun, 2024 01:50 PM

indus water treaty pakistan delegation in jammu to inspection

सिंधु जल संधि के तहत जम्मू-कश्मीर में दो पनबिजली परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल तटस्थ विशेषज्ञों के साथ रविवार...

इंटरनेशनल डेस्कः  सिंधु जल संधि के तहत जम्मू-कश्मीर में दो पनबिजली परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल तटस्थ विशेषज्ञों के साथ रविवार शाम यहां पहुंचा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। साल 1960 की संधि के विवाद निपटान तंत्र के तहत पांच साल से अधिक समय में किसी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की यह पहली जम्मू-कश्मीर यात्रा है। भारत और पाकिस्तान ने नौ साल की बातचीत के बाद सिंधु जल संधि (IWT) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी हस्ताक्षरकर्ता के रूप में शामिल हुआ था।

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यह संधि सीमा के दोनों ओर की नदियों के पानी के उपयोग पर समन्वय एवं सूचनाओं के आदान प्रदान का प्रावधान करती है। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। इससे पहले जनवरी 2019 में तीन सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने आखिरी बार IWT के प्रावधानों के तहत पाकल दुल और लोअर कलनाई जलविद्युत परियोजनाओं का निरीक्षण किया था। अधिकारियों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल केंद्र शासित प्रदेश में अपने प्रवास के दौरान चिनाब घाटी में किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं का निरीक्षण करेगा। पाकिस्तान ने 2016 में विश्व बैंक से दो जलविद्युत परियोजनाओं के बनावट की विशेषताओं पर अपनी आपत्तियों के संबंध में प्रारंभिक अनुरोध किया था, जिसमें 'तटस्थ विशेषज्ञ' के माध्यम से समाधान की मांग की गई थी। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने इस अनुरोध को वापस ले लिया और मध्यस्थता अदालत से इसपर निर्णय लेने की मांग की।

 

दूसरी ओर भारत ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे को केवल 'तटस्थ विशेषज्ञ' कार्यवाही के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। वार्ता विफल होने के बाद विश्व बैंक ने अक्टूबर 2022 में एक तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता न्यायालय की नियुक्ति की। संधि को संशोधित करने के लिए एक नोटिस जारी करते हुए, भारत ने आगाह किया कि “समान मुद्दों पर इस तरह के समानांतर विचार सिंधु जल संधि (IWT) के किसी भी प्रावधान के अंतर्गत नहीं आते हैं”। जुलाई 2023 में मध्यस्थता अदालत ने फैसला सुनाया कि वह “पाकिस्तान के मध्यस्थता के अनुरोध द्वारा निर्धारित विवादों पर विचार करने और उनका निर्धारण करने में सक्षम है”। इस प्रक्रिया के तहत पाकिस्तान ने इस वर्ष मार्च में अपना पहला ज्ञापन दाखिल किया, जिसमें दस्तावेजों के साथ उसके कानूनी मामले को सूचीबद्ध किया गया।

 

एक महीने बाद अदालत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नीलम-झेलम जलविद्युत संयंत्र का एक सप्ताह का दौरा किया, ताकि सिंधु नदी प्रणाली के किनारे रन-ऑफ-रिवर जलविद्युत संयंत्रों की बनावट और संचालन के सामान्य पहलुओं के बारे में उसे पता चल सके। भारत ने मध्यस्थता अदालत में भाग लेने से इनकार कर दिया, उसने अगस्त 2023 में तटस्थ विशेषज्ञ को एक ज्ञापन प्रस्तुत किया। जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडलों के साथ तटस्थ विशेषज्ञों की यात्रा में समन्वय करने के लिए 25 "संपर्क अधिकारी" नियुक्त किए हैं।  

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