Edited By Yaspal,Updated: 12 Jul, 2024 09:18 PM
मानसून के सीजन में सरकार को बड़ा झटका लगा है। जून में खुदरा महंगाई दर चार महीने के उच्चतम पर पहुंच गई है। आंकड़ों के मुताबिक, जून में खुदरा महंगाई दर 4.80 से बढ़कर 5.08 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
नेशनल डेस्कः मानसून के सीजन में सरकार को बड़ा झटका लगा है। जून में खुदरा महंगाई दर चार महीने के उच्चतम पर पहुंच गई है। आंकड़ों के मुताबिक, जून में खुदरा महंगाई दर 4.80 से बढ़कर 5.08 प्रतिशत पर पहुंच गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई मई 2024 में 4.8 प्रतिशत और जून 2023 में 4.87 प्रतिशत पर रही थी। इन आंकड़ों से पता चलता है कि जून के महीने में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 9.36 प्रतिशत हो गई जो मई में 8.69 प्रतिशत पर थी।
महंगाई के आंकड़े बढ़ने के बाद ब्याजदरों में कमी की संभावना पर भी विराम लग गया है। कल ही आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि फिलहाल अभी ब्याजदरों में कटौती का समय नहीं आया है। ब्याजदरों में कटौती ना होने के कारण आम आदमी को वाहन और घरों की ईएमआई से भी राहत नहीं मिलेगी। इसके साथ पर्सनल लोन और व्यापार के लिए मिलने वाला कर्ज भी महंगा रहेगा।
राहत की बात यह है कि महंगाई की दर आरबीआई के 6 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे है।
इकॉनोमी में ग्रोथ के लिए ब्याजदरों का कम होना बहुत जरूरी होता है। लेकिन महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए माना जा रहा है कि आरबीआई फिलहाल इस विषय में महीने के अंत में होने वाली मॉनिटरी पॉलिसी की मीटिंग में कोई फैसला नहीं लेगा। हालांकि, विदेशों में ब्याजदरों में कटौती की शुरूआत हो चुकी है। जून के पहले हफ्ते में कनाडा ने ब्याजदरों में 0.25 बेसिस प्वॉइन्ट की कटौती की थी। इसके अगले ही दिन यूरोपियन यूनियन के देशों ने ब्याजदरों में कटौती कर दी थी। अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा भी इस महीने के अंत में होने वाली मॉनिटरी पॉलिसी की मीटिंग के दौरान ब्याजदरों में कटौती का अनुमान लगाया जा रहा है। लेकिन भारत में बढ़ रही महंगाई के कारण फिलहाल ब्याजदरों में जल्द कटौती नजर नहीं आ रही है।