Edited By Archna Sethi,Updated: 04 Jul, 2024 09:40 PM
![instructions to be prepared to deal with unpleasant situations during monsoon](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_7image_21_39_434032437bhagwantmann-ll.jpg)
मानसून के दौरान अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश
चंडीगढ़, 4 जुलाई:(अर्चना सेठी) पंजाब के मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान के निर्देशों पर मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने राज्य के सभी डिप्टी कमिश्नरों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की और उन्हें मानसून के मौसम के दौरान तैयार रहने का निर्देश दिया ताकि लोगों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।
प्रमुख सचिव जल संसाधन ने बताया कि वर्तमान में भाखड़ा बांध का स्तर 1590 फीट है, जो पिछले वर्ष के स्तर से 8 फीट कम है। इसी तरह पौंग बांध पिछले साल की तुलना से 30 फीट और रणजीत सागर बांध का स्तर 34 फीट कम है।
वर्मा ने कहा कि इस वर्ष 252 करोड़ रुपए की लागत से बाढ़ निरोधक कार्य किए जा रहे हैं, जो पिछले दो वर्षों में किए गए औसत कार्यों से लगभग डेढ़ गुना है। वर्मा ने डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने जिलों के संवेदनशील क्षेत्रों का फिर से दौरा करें और यह सुनिश्चित करें कि बाढ़ रोकथाम कार्य संतोषजनक ढंग से पूरा हो। उन्होंने डिप्टी कमिश्नरों को पूरे मानसून सीजन में गांवों के संवेदनशील स्थानों के निवासियों के साथ लगातार संपर्क में रहने का भी निर्देश दिया।
वर्मा ने डिप्टी कमिश्नरों को शहरों में सीवेज सिस्टम की साफ-सफाई की दोबारा जांच करने का निर्देश दिए। उन्हें पानी निकालने वाले पम्पों के साथ जेनसेट की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिए गए। डिप्टी कमिश्नरों को वाटर पंपिंग स्टेशनों पर जेनरेटर की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए गए। उन्होंने पी.एस.पी.सी. के अधिकारियों के साथ बिजली व्यवस्था की समीक्षा करने का भी निर्देश दिए ताकि बरसात के दिनों में बिजली आपूर्ति में कोई व्यवधान न हो।
जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव कृष्ण कुमार ने कहा कि विभिन्न जिलों में लगभग 8.5 लाख खाली बैग (ई.सी बैग) खरीदे गए हैं और संवेदनशील क्षेत्रों के पास उपलब्ध कराए गए हैं। डिप्टी कमिश्नरों ने बताया कि वे आपातकालीन स्थिति में निकासी योजनाओं को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। सभी जिलों में बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति में लोगों और पशुओं के लिए सुरक्षित स्थानों (आश्रयों) की पहचान की गई है।