Edited By Parveen Kumar,Updated: 15 Aug, 2024 09:06 PM
निर्देश जारी कर राज्य के सभी कॉलेजों के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं द्वारा लिखी किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल करना अनिवार्य कर दिया। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए इस आदेश ने एक राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है।
नेशनल डेस्क : निर्देश जारी कर राज्य के सभी कॉलेजों के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं द्वारा लिखी किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल करना अनिवार्य कर दिया। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए इस आदेश ने एक राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है।
विपक्ष इसे एक विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा देने की कोशिश बता रहा है, जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का कहना है कि पहले एक राष्ट्र- विरोधी विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा था। उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. धीरेंद्र शुक्ला ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के प्रिंसिपल्स को पत्र लिखा और संस्थानों को 88 किताबों का एक सेट खरीदने का निर्देश दिया।
लिस्ट में सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, डॉक्टर अतुल कोठारी, देवेंद्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर जैसे प्रमुख आरएसएस नेताओं की लिखी किताबें शामिल हैं, जो आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती से जुड़े रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों से कहा है कि वे बिना देरी इन किताबों को खरीदें। यह निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है, जो अकादमिक पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपराओं को शामिल करने की वकालत करती है। विभाग के पत्र में यह भी सिफारिश की गई है कि प्रत्येक कॉलेज में एक इंडियन नॉलेज ट्रेडिशन सेल का गठन किया जाए।