पश्चिम बंगाल से चल रहे अंतर-राज्यीय साइबर वित्तीय धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश

Edited By Archna Sethi,Updated: 21 Aug, 2024 07:58 PM

inter state cyber financial fraud racket running from west bengal busted

पश्चिम बंगाल से चल रहे अंतर-राज्यीय साइबर वित्तीय धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश

 


चंडीगढ़, 21 अगस्त:(अर्चना सेठी) पंजाब को सुरक्षित राज्य बनाने के अभियान के तहत, पंजाब पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों से साइबर वित्तीय धोखाधड़ी करने वाले अंतर-राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है और तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है।

एडीजीपी साइबर क्राइम डिवीजन वी. नीरजा ने बुधवार को इस जानकारी को साझा करते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान शोवन साहा, अभिषेक कुमार सिंह, और परवीन कुमार राय के रूप में हुई है। पुलिस टीमों ने इनके कब्जे से तीन मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और 30,900 रुपये की नकदी भी बरामद की है।

जानकारी के अनुसार, पंजाब राज्य साइबर क्राइम डिवीजन को एक साइबर धोखाधड़ी की शिकायत प्राप्त हुई जिसमें 49.60 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई थी। धोखेबाज ने कंपनी के अकाउंटेंट को मालिक की डिस्प्ले पिक्चर का उपयोग कर एक व्हाट्सएप संदेश भेजा, जो मोरिंट के आधार पर रियल एस्टेट कारोबारी हैं। चूंकि उस समय मालिक किसी बैठक में था, इसलिए संदेश की सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी, जिससे कर्मचारी ने संदेश को मालिक का मान लिया और धोखेबाज द्वारा दिए गए बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए।

एडीजीपी वी. नीरजा ने आगे बताया कि गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों में से दो फ्लिपकार्ट के कर्मचारी थे, जिन्होंने कमीशन के लिए अपने बैंक खाते साइबर धोखेबाजों को किराए पर दिए थे।

उन्होंने कहा, "मुहम्मद दिलोवर गाजी नामक एक अन्य महत्वपूर्ण संदिग्ध की पहचान भी की गई थी, लेकिन गिरने के कारण उसे चोटें आई थीं और वह यात्रा करने की स्थिति में नहीं था। गाजी बाद में जांच में शामिल हुआ और उसने गिरोह के अन्य सदस्यों के नामों का खुलासा किया।"

एडीजीपी ने कहा कि हेल्पलाइन 1930 टीम की कोशिशों के जरिए 44 विभिन्न बैंक खातों में से तीसरी से नौवीं परत तक 5,22,700 रुपये की राशि फ्रीज कर दी गई है। इसके अलावा, मामले की जांच जारी है और अन्य गिरफ्तारियों की संभावना है।

इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए एस.पी. स्टेट साइबर क्राइम डिवीजन जशनदीप सिंह गिल ने बताया कि इस मामले की सूचना 12 घंटे बाद स्टेट साइबर क्राइम को दी गई थी और एन.सी.आर. पोर्टल पर रिपोर्ट करने के बाद, पुलिस स्टेशन स्टेट साइबर क्राइम डिवीजन, मोहाली द्वारा जांच शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि साइबर धोखेबाजों द्वारा उपयोग किए गए व्हाट्सएप अकाउंट्स, बैंक खातों और मोबाइल नंबरों के बारे में जानकारी प्राप्त की गई और यह पाया गया कि पहली और दूसरी परत में राशि पश्चिम बंगाल के बैंक खाताधारकों को ट्रांसफर की गई थी।

एस.पी. गिल ने कहा कि इसके बाद, जॉइंट साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन टीम (जे सी सी टी) पश्चिम बंगाल के साथ समन्वय के लिए भारतीय साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आई 4ष्ट) की सहायता मांगी गई और इंस्पेक्टर गगन प्रीत सिंह और इंस्पेक्टर दीपक भाटिया की अगुवाई वाली पुलिस टीम कोलकाता के लिए रवाना हो गई। उन्होंने आगे कहा कि मल्टीपल ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (ओ एसआई एन टी) तकनीकों और बैंक के नोडल अधिकारियों की सहायता से, पहली और दूसरी परत में आरोपियों के ठिकानों की पहचान की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि धोखेबाजों ने नौ परतों में 150 बैंक खातों में राशि ट्रांसफर की थी और इनमें से 44 खातों में जमा राशि को फ्रीज कर दिया गया है।

इस संबंध में एफ.आई.आर. नं. 21 दिनांक 01/08/2024 को भारतीय दंड संहिता (बी.एन.एस.) की धाराओं 318, 319 और 61 और आई.टी. एक्ट की धाराओं 66-सी और 66-डी के तहत थाना स्टेट साइबर क्राइम एस.ए.एस. नगर में दर्ज किया गया था।

यह उल्लेखनीय है कि पंजाब के साइबर क्राइम डिवीजन द्वारा अन्य राज्यों के साइबर अपराधियों को पकडऩे के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दो महीनों के दौरान, राज्य के सभी 28 पुलिस जिलों के साइबर क्राइम थानों में लगभग 100 मामले दर्ज किए गए हैं और इन मामलों में साइबर धोखाधड़ी के शिकार व्यक्तियों की 23.46 करोड़ रुपये की राशि संदिग्ध व्यक्तियों के खातों में फ्रीज कर दी गई है।

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