Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Sep, 2019 08:24 AM
हर साल 21 सितम्बर को विश्व भर में ‘विश्व शांति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। सभी देशों और लोगों के बीच शांति के आदर्शों को प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1981 से इस दिवस की शुरूआत की थी।
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हर साल 21 सितम्बर को विश्व भर में ‘विश्व शांति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। सभी देशों और लोगों के बीच शांति के आदर्शों को प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1981 से इस दिवस की शुरूआत की थी। वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एकमत से इस दिन को अहिंसा और युद्धविराम का दिन घोषित किया था। पहली बार इस दिवस को 1982 में कई देशों, राजनीतिक समूहों, सैन्य समूहों और लोगों द्वारा मनाया गया। 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इसे शांति शिक्षा के लिए समर्पित किया।
शांति की घंटी
इस दिन की शुरूआत अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र शांति घंटी बजा कर की जाती है। यह घंटी अफ्रीका को छोड़कर सभी महाद्वीपों के बच्चों द्वारा दान किए गए सिक्कों से बनाई गई है जिसे जापान के युनाइटेड नैशनल एसोसिएशन ने उपहार में दिया था। यह घंटी युद्ध में मानव की कीमत की याद दिलाती है। इसके एक ओर लिखा है - ‘विश्व में शांति हमेशा बनी रहे।’
महत्व
आज दुनिया भर में अराजकता का माहौल बढ़ता जा रहा है जिसके चलते विश्व शांति दिवस का महत्व और भी अधिक हो जाता है।
जीवन का प्रमुख लक्ष्य शांति और खुशी प्राप्त करना है जिसके लिए मनुष्य निरंतर कर्मशील तो है लेकिन शांति के लिए प्रयासरत नहीं। पूरा विश्व, समस्त देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए प्रयासरत है।
शांति का दूत सफेद कबूतर
विश्व भर में सफेद कबूतर को शांति का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि विश्व शांति दिवस पर सफेद कबूतरों को उड़ाकर शांति का पैगाम दिया जाता है और एक-दूसरे से भी शांति कायम रखने की अपेक्षा होती है।
वर्ल्ड पीस कांग्रेस 1949 में कबूतर को शांति के प्रतीक के रूप में चुना गया
कई महान कलाकारों ने सफेद कबूतर को शांति और प्रेम के रूप में चित्रित किया है। पिकासो ने भी अपनी एक पेंटिंग में ऑलिव की पत्ती लिए कबूतर को चित्रित किया था। इस चित्र को वर्ल्ड पीस कांग्रेस ने सन् 1949 में शांति के प्रतीक के रूप में चुना, इसके बाद लगभग विश्व की हर संस्था में सफेद कबूतर को शांति और प्रेम के प्रतीक के रूप में चित्रित किया जाने लगा।