24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त...जिस इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर फंसी हैं सुनीता विलियम्स

Edited By Parminder Kaur,Updated: 17 Mar, 2025 01:37 PM

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इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) वह जगह है, जहां अंतरिक्ष यात्री उतरते रहते हैं और वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं। यह पृथ्वी से बहुत अलग अनुभव है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हर दिन 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त होता है।

नेशनल डेस्क. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) वह जगह है, जहां अंतरिक्ष यात्री उतरते रहते हैं और वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं। यह पृथ्वी से बहुत अलग अनुभव है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हर दिन 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त होता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह...

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का आकार और गति

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन कोई स्थिर संरचना नहीं है, बल्कि यह एक विशाल अंतरिक्ष यान है, जो लगातार पृथ्वी के चारों ओर घूमता रहता है। इसका आकार इतना बड़ा है कि इसे पांच बेडरूम वाले घर या दो बोइंग 747 जेटलाइनों के बराबर माना जा सकता है। इस स्पेस स्टेशन में 6 लोगों की टीम और कुछ मेहमान रह सकते हैं। वर्तमान में इसमें 8 लोग मौजूद हैं। इसका वजन लगभग 10 लाख पाउंड (453,592 किलोग्राम) है और इसका आकार इतना बड़ा है कि इसकी लंबाई फुटबॉल मैदान के बराबर होती है।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की पृथ्वी से दूरी और गति

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 403 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करता है। यह इतनी तेज गति से चल रहा है कि 1 घंटे में यह 28,163 किलोमीटर की दूरी तय करता है। यानी कि यह 17,500 मील प्रति घंटे (28,163 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगाता है।

16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त का कारण

अब बात करते हैं कि क्यों इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 24 घंटे में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त होते हैं। इसका कारण है स्पेस स्टेशन की तेज गति। ISS पृथ्वी का चक्कर 90 मिनट में पूरा करता है। मतलब हर 90 मिनट में यह पृथ्वी के एक चक्कर को पूरा कर लेता है। इस दौरान यह लगभग 45 मिनट दिन (सूर्य की रोशनी में) और 45 मिनट रात (पृथ्वी की छाया में) रहता है।

चूंकि ISS हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है। इसका मतलब है कि हर 24 घंटे में यह 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त देखता है। इसका कारण पृथ्वी का आकार और स्पेस स्टेशन की कक्षा की ऊंचाई है, जो इसे इतनी तेज गति से परिक्रमा करने की अनुमति देती है। अगर पृथ्वी का आकार बड़ा होता, तो इसे एक चक्कर पूरा करने में ज्यादा समय लगता और सूर्योदय-सूर्यास्त की संख्या कम होती।

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