कनाडा में नीतिगत बदलावों के कारण डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं अंतर्राष्ट्रीय छात्र, चिंता बढ़ी

Edited By Mahima,Updated: 24 Dec, 2024 09:44 AM

international students are suffering from depression due to policy changes

कनाडा में नीतिगत बदलावों के कारण अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्टडी परमिट की संख्या में कमी, वर्क परमिट पर नए प्रतिबंध, और बढ़ती महंगाई ने छात्रों को बेरोजगारी और तनाव की स्थिति में डाल दिया है। इसके...

नेशनल डेस्क: कनाडा में हाल के समय में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए नए नीतिगत बदलावों के कारण गंभीर मानसिक और शारीरिक संकट उत्पन्न हो रहा है। स्टडी परमिट की संख्या में कमी, वर्क परमिट के लिए नए नियम, और बढ़ती महंगाई के कारण वे बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। इन बदलावों से मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप कई छात्र डिप्रैशन का शिकार हो रहे हैं।

नीतियों का छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव
हालिया मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कनाडा में किए गए नीतिगत बदलावों के कारण अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की स्थिति खराब हो रही है। एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि देश में स्टडी परमिट के आवेदनों में कमी की जा रही है और वर्क परमिट के लिए नए कड़े नियम लागू हो रहे हैं। इससे छात्रों को अपनी पढ़ाई और काम के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई हो रही है, साथ ही यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है। कुछ छात्रों का कहना है कि पहले से मौजूद आर्थिक संकट और आवासीय समस्याओं के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जो स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बना रहा है।

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आवासीय समस्याएं और महंगाई की समस्या
कनाडा में आवासीय किरायों में बेतहाशा बढ़ोतरी के कारण अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को अपना ठिकाना ढूंढने में बहुत कठिनाई हो रही है। वाटरलू विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, छात्रों को अच्छे आवासीय विकल्प मिलने में अनेक समस्याएं आती हैं, और जो उपलब्ध हैं, वे अत्यधिक महंगे होते हैं। साथ ही, उच्च जीवन-यापन लागत और महंगे किराने के सामान ने छात्र समुदाय को और अधिक परेशान कर दिया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बढ़ती महंगाई के कारण काम करने के घंटे भी सीमित किए गए हैं, जिससे छात्रों को आर्थिक रूप से अधिक दबाव महसूस हो रहा है।

भविष्य में अनिश्चितता और बेरोजगारी
कनाडा में भविष्य के प्रति अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। हंबर कॉलेज की एक भारतीय छात्रा ने मीडिया को बताया कि, "हर दिन नए नियमों की घोषणा हो रही है और हमें यह नहीं पता कि अगले सप्ताह क्या होगा। यह स्थिति बहुत अनिश्चित और मानसिक रूप से थकाऊ हो गई है।" छात्रा ने यह भी बताया कि हाल ही में घोषित किए गए स्टडी परमिट की संख्या में कमी और कार्य घंटों पर कड़े प्रतिबंधों ने चिंता को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा, कनाडा में श्रम बाजार में कमी के कारण कई छात्र बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। एक छात्र ने बताया कि उसने कनाडा को इस उम्मीद में चुना था कि यह अन्य देशों की तुलना में सस्ता है और यहां पी.आर. प्राप्त करना आसान है, लेकिन अब उनकी धारणा बदल चुकी है। अब वह महसूस करते हैं कि कनाडा में पी.आर. प्राप्त करना अब उतना आसान नहीं है, और यहां नौकरी के अवसर भी कम हो गए हैं।

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कनाडा की प्रतिष्ठा पर संकट
कनाडा में बढ़ते अप्रवासी विरोधी बयानों के बीच एक और बड़ी चिंता सामने आई है, वह है कनाडा की प्रतिष्ठा पर असर। अंतर्राष्ट्रीय छात्र समुदाय के कई सदस्य यह मानते हैं कि कनाडा में नस्लवाद की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। यह स्थिति छात्रों के लिए अधिक तनावपूर्ण हो गई है, क्योंकि वे यह महसूस करते हैं कि वे अपने घर से दूर एक सुरक्षित वातावरण में रहकर भी इन मानसिक दबावों का सामना कर रहे हैं। कनाडा में कई रिपोर्टों के मुताबिक, 2024 के अंत तक कनाडा में स्टडी परमिट के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या में 50% तक की गिरावट हो सकती है।

समाधान की दिशा में छात्र समुदाय की मांगें
अंतर्राष्ट्रीय छात्र संगठनों ने कनाडा सरकार से मांग की है कि वे इस स्थिति को समझें और छात्रों की परेशानियों को हल करने के लिए ठोस कदम उठाएं। उनके अनुसार, सरकार को स्टडी परमिट और वर्क परमिट के नियमों में लचीलापन लाना चाहिए, ताकि छात्र मानसिक दबाव से बाहर आ सकें और उनकी शिक्षा और जीवन-यापन की स्थिति बेहतर हो सके। इसके अलावा, आवासीय समस्या और उच्च जीवन-यापन लागत पर भी काबू पाने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है। 

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कनाडा में हाल ही में किए गए नीतिगत बदलावों ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के जीवन में अनिश्चितता और तनाव को बढ़ा दिया है। इसने उनके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और कई छात्रों को डिप्रैशन का शिकार बना दिया है। बढ़ती महंगाई, आवासीय समस्याएं, और बेरोजगारी के कारण छात्र मानसिक दबाव में हैं। यदि यह स्थिति ऐसी ही बनी रहती है, तो कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या में गिरावट देखी जा सकती है, जो कनाडा की शिक्षा प्रणाली और प्रतिष्ठा के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है।

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