Edited By Tanuja,Updated: 22 Dec, 2024 06:48 PM
![investment of rs 100 in indian stocks in 1990 grew to rs 9500](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_12image_18_47_077306322indiastock-ll.jpg)
भारतीय शेयर बाजार ने अमेरिकी बाजारों की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है। मोटिलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर 1990 में भारतीय शेयर बाजार में 100 रुपए...
International Desk: भारतीय शेयर बाजार ने अमेरिकी बाजारों की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है। मोटिलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर 1990 में भारतीय शेयर बाजार में 100 रुपए निवेश किए जाते, तो यह नवंबर 2024 तक बढ़कर 9,500 रुपए हो जाते। वहीं, यही रकम अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने पर 8,400 रुपए तक ही पहुंच पाती। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार ने 1990 से अब तक निवेश को 95 गुना तक बढ़ाया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारतीय शेयर बाजार ने अन्य निवेश विकल्पों जैसे सोना और नकदी से बेहतर प्रदर्शन किया है।
1990 में 100 रुपए का निवेश सोने में किया गया होता, तो आज इसकी कीमत 3,200 रुपए होती, जो शेयर बाजार के रिटर्न से काफी कम है। और 100 रुपये को नकदी में रखने या मामूली ब्याज वाले साधनों में निवेश करने पर यह सिर्फ 1100 रुपए तक ही बढ़ पाता। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि निवेश को समय देने से वह अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकता है। हालांकि, जब बाजार में गिरावट लंबे समय तक रहती है, तो निवेशक घबरा जाते हैं और भावनाओं में आकर गलत फैसले ले लेते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि लंबी अवधि के निवेश के लिए धैर्य और एक स्पष्ट दृष्टिकोण होना बेहद जरूरी है। इक्विटी के लिए एक साल और डेट इंस्ट्रूमेंट्स के लिए दो साल की अवधि को लॉन्ग टर्म माना जाता है। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, एक साल की अवधि निवेश के लिए बहुत कम होती है क्योंकि इस दौरान बाजार में उतार-चढ़ाव अधिक हो सकता है और निवेशक को नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट ने निष्कर्ष दिया कि लंबे समय के लिए निवेश करना ही एक स्वस्थ निवेश पोर्टफोलियो का मूलमंत्र है।