अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते रिश्तों से ईरान को नए संकट का सामना

Edited By Rahul Rana,Updated: 30 Mar, 2025 03:05 PM

iran faces new crisis due to growing relations between america

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दूसरी पारी के दौरान, अमेरिकी विदेश नीति और आक्रामक हो गई है। हूती विद्रोहियों से लेकर हिजबुल्ला और हमास तक, पश्चिमी एशिया में अमेरिकी रुख पहले से ज्यादा सख्त हो गया है। ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनने से पहले ही रूस...

नेशनल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दूसरी पारी के दौरान, अमेरिकी विदेश नीति और आक्रामक हो गई है। हूती विद्रोहियों से लेकर हिजबुल्ला और हमास तक, पश्चिमी एशिया में अमेरिकी रुख पहले से ज्यादा सख्त हो गया है। ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनने से पहले ही रूस के साथ अच्छे रिश्तों का समर्थन किया था, और अब यह रिश्ता ईरान के लिए एक नई चिंता का कारण बन गया है। रूस और ईरान का गठजोड़ पुराना है, लेकिन हाल ही में ट्रम्प और पुतिन के बीच हुई बातचीत के बाद परिस्थितियां बदली हैं। पुतिन ने खुद को अमेरिका और ईरान के बीच मध्यस्थ के रूप में पेश किया, जिसके बाद ईरान को अपनी सुरक्षा को लेकर और अधिक चिंताएं पैदा हो गई हैं।

पुतिन का ईरान से संपर्क: अमेरिका के खिलाफ खड़ी हो रही नई धारा

ट्रम्प और पुतिन के बीच हुई वार्ता के बाद, पुतिन ने ईरान से संपर्क किया और अमेरिका और ईरान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की। यह कदम अमेरिका के साथ रिश्तों को और तनावपूर्ण बना सकता है, खासकर जब अमेरिका की सैन्य रणनीति और मध्यपूर्व में गतिविधियां भी बढ़ी हैं। इस समय अमेरिका के सैनिकों की तैनाती और हथियारों की बढ़ती आपूर्ति ने ईरान की सुरक्षा चिंता को और बढ़ा दिया है।

अमेरिकी सैन्य घेराबंदी: अरब सागर और हिंद महासागर में सक्रियता

पश्चिमी एशिया और हिंद महासागर में अमेरिकी सैन्य घेराबंदी ने ईरान की स्थिति को और जटिल बना दिया है। अमेरिका ने अपने दो जंगी जहाज, यूएसएस हैरी एस टूमन कैरियर एयरक्राफ्ट को अरब सागर में तैनात करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही, ब्रिटिश सैन्य अड्डे डिएगो गार्सिया में 5 बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स को तैनात करने का निर्णय लिया गया है। अमेरिका ने इसके अलावा, सी-17 मालवाहक विमानों के जरिए सैन्य उपकरण, हथियार और रसद भेजने का भी निर्णय लिया है। इन तैनातियों को लेकर ईरान ने अपनी सुरक्षा चिंताओं को व्यक्त किया है, खासकर बी-2 बॉम्बर की तैनाती के संदर्भ में, जो ईरान की भूमिगत परमाणु सुविधाओं को निशाना बना सकते हैं।

बी-2 बॉम्बर और बंकर-बस्टिंग बम: परमाणु कार्यक्रम पर हमला?

अमेरिका के बी-2 स्पिरिट स्टेल्थ बॉम्बर को ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए एक बड़ा खतरा माना जा रहा है। यह बॉम्बर बेहद घातक और उन्नत सैन्य विमान है, जिसमें स्टेल्थ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह दुश्मन के रडार को चकमा देकर अंदर तक घुस कर सटीक हमला कर सकता है। बी-2 बॉम्बर बंकर-बस्टिंग बम गिराने में सक्षम हैं, जो ईरान की भूमिगत परमाणु सुविधाओं को नष्ट कर सकते हैं। ट्रम्प ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर ईरान वार्ता के लिए तैयार नहीं हुआ, तो अमेरिका उसके परमाणु ठिकानों पर हमला कर सकता है।

हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी हमले: यमन में बमबारी

अमेरिका ने हाल ही में यमन में हूती विद्रोहियों के 40 ठिकानों पर बमबारी की। शुक्रवार तड़के हुए इन हमलों में, सना के रिहायशी इलाकों सहित हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमला किया गया। इन हमलों में सना इंटरनेशनल एयरपोर्ट को भी निशाना बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप 10 लोग मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हमला अमेरिका की सख्त विदेश नीति और पश्चिमी एशिया में बढ़ते सैन्य हस्तक्षेप को स्पष्ट करता है।

इजराइल द्वारा हिजबुल्ला के ठिकानों पर हवाई हमला**

इजराइल ने भी पश्चिमी एशिया में अपनी सैन्य कार्रवाइयों को तेज किया है। शुक्रवार को इजराइल ने दाहिया में हवाई हमला किया, जो हिजबुल्ला का गढ़ माना जाता है। इजराइल का दावा है कि उसने हिजबुल्ला के ड्रोन स्टोरेज फैसिलिटी को निशाना बनाया। इस हमले में तीन लोग मारे गए और 18 लोग घायल हो गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

ईरान की आंतरिक स्थिति: आर्थिक संकट और प्रतिरोध गठबंधन में कमजोरी

ईरान की आंतरिक स्थिति बेहद नाजुक हो गई है। पिछले दो वर्षों में, इजराइल ने हमास और हिजबुल्ला को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे दोनों संगठन कमजोर हो गए हैं। इस वजह से ईरान का रेजिस्टेंस एक्सिस बिखरने की कगार पर है। ईरान आर्थिक संकट से जूझ रहा है, महंगाई दर 35% से ऊपर है और बिजली की कटौती के कारण लोग परेशानी में हैं। सूखा और पानी की भारी किल्लत भी ईरान की समस्याओं को बढ़ा रही है। इन सभी कारणों से ईरान में सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है और इस संकट से निपटने में ईरानी नेतृत्व को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

अमेरिका-रूस-ईरान संबंधों में तनाव

ट्रम्प और पुतिन के बीच बढ़ते रिश्तों और अमेरिका की आक्रामक सैन्य रणनीति ने ईरान के लिए नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं। ईरान, जो पहले से ही आंतरिक संकट और आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा है, अब एक नए बाहरी दबाव के तहत आ गया है। अमेरिका की सैन्य सक्रियता, रूस की मध्यस्थता और पश्चिमी एशिया में बढ़ते संघर्ष ईरान के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले दिनों में पश्चिमी एशिया में तनाव और बढ़ सकता है, जिससे ईरान को अपनी सुरक्षा को लेकर और अधिक रणनीतिक फैसले लेने होंगे।
 

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