Edited By Parminder Kaur,Updated: 27 Jan, 2025 11:30 AM
अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है। अगर हमें पर्याप्त नींद नहीं मिलती, तो इसका असर हमारी सेहत पर पड़ सकता है, जैसे कि मनोभ्रंश (Dementia), उच्च रक्तचाप (BP) और डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है। दुनियाभर में बहुत से लोग नींद की समस्या से जूझ रहे...
नेशनल डेस्क. अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है। अगर हमें पर्याप्त नींद नहीं मिलती, तो इसका असर हमारी सेहत पर पड़ सकता है, जैसे कि मनोभ्रंश (Dementia), उच्च रक्तचाप (BP) और डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है। दुनियाभर में बहुत से लोग नींद की समस्या से जूझ रहे हैं और इस समस्या से निपटने के लिए लोग कई तरह के उपाय अपनाते हैं। लेकिन इन उपायों में से कई का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता और ये नींद की असली समस्याओं का समाधान नहीं करते। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की स्लीप मेडिसिन एक्सपर्ट रेबेका रॉबिंस के अनुसार, नींद से जुड़े मिथकों को समझना बहुत जरूरी है ताकि इस समस्या को सही तरीके से हल किया जा सके। चलिए जानते हैं नींद से जुड़े आम मिथकों और उनकी सच्चाई के बारे में...
1. कम नींद की आदत डाल लेना ठीक है
मिथक: लोग सोचते हैं कि अगर वे कम नींद लेते हैं, तो उनका शरीर इससे आदी हो जाता है और कोई समस्या नहीं होती। सच: नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन लेक फॉरेस्ट हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. इयान कैटजल्सन कहते हैं कि कम नींद से निपटने के लिए लोग कैफीन जैसे उपाय अपनाते हैं, लेकिन इससे शरीर को आराम नहीं मिलता। इससे याददाश्त में कमी, मूड स्विंग्स और रचनात्मकता में गिरावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
2. ज्यादा नींद लेना हमेशा अच्छा है
मिथक: यह समझा जाता है कि ज्यादा सोने से शरीर को पूरी तरह से आराम मिलता है और किसी प्रकार की समस्या नहीं होती। सच: अमेरिकन स्लीप मेडिसिन एकेडमी की एक्सपर्ट डॉ. फरीहा अब्बासी के अनुसार, वयस्कों को 7-9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। अगर कोई 9 घंटे से ज्यादा सोता है, तो इससे सांस संबंधित बीमारियों से मौत का खतरा 35% तक बढ़ सकता है। साथ ही डायबिटीज का भी जोखिम ज्यादा हो सकता है।
3. वीकेंड पर भरपूर सोने से हफ्ते की नींद पूरी हो जाएगी
मिथक: लोग सोचते हैं कि वीकेंड पर देर तक सोने से हफ्ते भर की नींद की कमी पूरी हो जाएगी। सच: स्लीप एक्सपर्ट डॉ. थॉमस किलकेनी कहते हैं कि वीकेंड पर कभी-कभी देर से सोना ठीक है, लेकिन अगर यह आदत बन जाए, तो इसका मतलब है कि आप पूरे हफ्ते सही से आराम नहीं ले रहे। हफ्तेभर की नींद की भरपाई एक रात में नहीं की जा सकती। इसके बजाय रोजाना 15 मिनट पहले सोने की कोशिश करें और ज्यादा बदलाव से बचें।
4. रात में नींद का टूटना खराब है
मिथक: अगर रात में अचानक जाग जाएं, तो यह खराब नींद का संकेत है। सच: स्लीप रिसर्चर डॉ. जेनिफर गोल्डश्मिड कहती हैं कि शरीर रात भर नींद के विभिन्न चरणों से गुजरता है। इन बदलावों के चलते नींद टूट सकती है। अगर आप जागें तो कोशिश करें फिर से सोने की। अगर फिर भी नींद न आए, तो किताब पढ़ें या ध्यान लगाएं, लेकिन जागते हुए न रहें।
5. सुस्ती और खर्राटे सामान्य हैं
मिथक: बहुत से लोग मानते हैं कि सुस्ती और खर्राटे सामान्य बात है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सच: नींद से जुड़े विकारों की एक्सपर्ट डॉ. एन रोमेकर कहती हैं कि हमेशा सुस्त रहना ठीक नहीं है, क्योंकि यह बौद्धिक प्रदर्शन पर असर डाल सकता है। इसके लिए सुबह की धूप में चलना फायदेमंद हो सकता है। खर्राटे लेना सामान्य है, लेकिन अगर खर्राटे जोरदार और बार-बार हो रहे हों, तो यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) का संकेत हो सकता है। डॉ. मेहविश साजिद के अनुसार, अगर खर्राटे के साथ 'घुटन' या 'हांफना' महसूस हो तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।