Edited By rajesh kumar,Updated: 08 Dec, 2024 04:10 PM

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Uttarakhand Pollution Control Board) ने हाल ही में कहा है कि हरिद्वार में गंगा का पानी पीने के लायक नहीं रहा है। हालांकि, बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नहाने के लिए सुरक्षित है, लेकिन पीने के लिए नहीं।
नई दिल्ली: उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Uttarakhand Pollution Control Board) ने हाल ही में कहा है कि हरिद्वार में गंगा का पानी पीने के लायक नहीं रहा है। हालांकि, बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नहाने के लिए सुरक्षित है, लेकिन पीने के लिए नहीं।
12 स्थानों से सैंपल लिए गए थे
बोर्ड के अधिकारी डॉ. सचिन और डॉ. पराग धकाते ने बताया कि गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक गंगा जल की सैंपलिंग की गई थी। इनमें से 12 स्थानों से सैंपल लिए गए थे। इन सैंपल्स में से सिर्फ एक स्थान पर पानी में बैक्टीरिया की अधिकता पाई गई, जिससे उस पानी को पीने लायक नहीं माना गया। बाकी जगहों पर गंगा जल गुणवत्ता के अनुसार ठीक पाया गया।
इस कारण खराब हो रहा गंगा का पानी- पर्यावरणविद्
वहीं, पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हरिद्वार में गंगा के पानी की गुणवत्ता में गिरावट आना एक गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा कि बढ़ते प्रदूषण और जनसंख्या के कारण गंगा का पानी खराब हो रहा है, और इसमें कोई संदेह नहीं है। डॉ. जोशी ने यह भी कहा कि गंगा में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण कचरा और सीवेज है, जो सीधे नदियों में बहाया जाता है।
किस कारण गंगा का पानी विषैला बन रहा?
हरिद्वार एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान गंगा में सीवेज, घरेलू कचरा, पूजा सामग्री, अस्थि विसर्जन और प्लास्टिक का कचरा डाला जाता है, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसके अलावा, आसपास के उद्योगों, जैसे कि कपड़ा, चमड़ा और रसायन के कारखानों से निकलने वाला प्रदूषित पानी भी गंगा में सीधे गिरता है, जो जल को विषैला बना देता है।