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राज्य में कानून का शासन है या बाहुबल का: बंबई उच्च न्यायालय ने पूछा

Edited By Rahul Rana,Updated: 20 Apr, 2025 06:03 PM

is there rule of law or muscle power in the state bombay high

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवी मुंबई में एक भूखंड पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर महाराष्ट्र सरकार की नगर नियोजन एजेंसी, नगर एवं औद्योगिक विकास निगम (सिडको) को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सिडको से तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि क्या...

नेशनल डेस्क: बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवी मुंबई में एक भूखंड पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर महाराष्ट्र सरकार की नगर नियोजन एजेंसी, नगर एवं औद्योगिक विकास निगम (सिडको) को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सिडको से तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि क्या राज्य में कानून का शासन है या बाहुबल का। बॉम्बे हाईकोर्ट की यह कड़ी टिप्पणी राज्य में अवैध निर्माणों और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में सरकारी एजेंसियों की विफलता पर एक महत्वपूर्ण सवाल उठाती है। न्यायालय ने स्पष्ट संदेश दिया है कि कानून का शासन सर्वोपरि है और अधिकारियों को बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

न्यायालय की टिप्पणी:

➤ न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति कमल किशोर टाटिया की खंडपीठ ने इस महीने की शुरुआत में पारित एक महत्वपूर्ण आदेश में सिडको के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की।
➤ पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि सिडको के अधिकारी अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के इच्छुक नहीं दिखाई देते हैं।
➤ न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई कि क्या महाराष्ट्र में कानून का शासन प्रभावी है या दबंगों और बाहुबलियों का।


सिडको का बचाव और न्यायालय का जवाब:

➤ सुनवाई के दौरान, सिडको ने अदालत को बताया कि जब उनके अधिकारियों ने बोकाडवीरा गांव में अवैध ढांचों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का प्रयास किया, तो गांव के सरपंच ने उन्हें धमकी दी।
➤ इस बचाव पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, पीठ ने कहा कि सिडको के अधिकारी अपने वैध कर्तव्यों का निर्वहन करते समय पर्याप्त पुलिस सुरक्षा पाने के हकदार हैं।
➤ न्यायालय ने जोर देकर कहा कि अवैध गतिविधियों को रोकना और कानून के शासन को स्थापित करना राज्य के प्राधिकारियों का प्राथमिक कर्तव्य है।


धमकियों पर न्यायालय की सख्त टिप्पणी:

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बोकाडवीरा गांव के सरपंच द्वारा सिडको अधिकारियों को दी गई धमकियों को एक लोकतांत्रिक देश में किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है, खासकर जब अधिकारी अपने कानूनी दायित्वों का पालन कर रहे हों।

याचिका और न्यायालय का आदेश:

अदालत 2016 में एक दंपति द्वारा दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में दंपति ने सिडको से यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह नवी मुंबई में उनकी जमीन पर दीपक पाटिल नामक एक व्यक्ति द्वारा बनाए गए अनधिकृत ढांचों को ध्वस्त करे। याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ताओं के स्वामित्व वाली 123 वर्ग मीटर भूमि पर अवैध रूप से दुकानें बनाई गई हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए, अदालत ने सिडको को एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं की भूमि पर किए गए सभी अनधिकृत निर्माणों को हटाने के लिए सभी आवश्यक कानूनी कदम उठाने का सख्त निर्देश दिया है।

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