Edited By Parminder Kaur,Updated: 29 Oct, 2024 05:00 PM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अगले 15 साल का एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है। इस रोडमैप के तहत अगले तीन महीने में गगनयान मिशन का पहला अन-मिशन लॉन्च किया जाएगा, जिसकी अंतिम तैयारियां चल रही हैं। इस मिशन में पहले दो रोबोटिक गगनयान भेजे...
नेशनल डेस्क. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अगले 15 साल का एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है। इस रोडमैप के तहत अगले तीन महीने में गगनयान मिशन का पहला अन-मिशन लॉन्च किया जाएगा, जिसकी अंतिम तैयारियां चल रही हैं। इस मिशन में पहले दो रोबोटिक गगनयान भेजे जाएंगे, जिनमें एक घूमनॉइड रोबोट "व्योममित्र" शामिल है।
गगनयान मिशन के तहत 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को भेजने की योजना है। इसरो ने 2040 तक के लिए अंतरिक्ष मिशनों का कैलेंडर तैयार किया है। गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्षयात्रियों (गगनॉट) का चयन किया गया है, जिनमें से दो भारतीय अंतरिक्षयात्री तीन दिन के लिए पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करेंगे।
इसरो की योजना है कि अगले पांच साल में तीन बार दो-दो भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। मिशन की सफलता के आधार पर अंतरिक्षयात्रियों की संख्या और उनके रहने के दिनों में भी बढ़ोतरी की जा सकती है। पहले गगनयान मिशन के बाद 2026-27 में गगनयान की दूसरी मानव उड़ान और 2028-29 में तीसरी मानव उड़ान का आयोजन किया जाएगा।
इसके अलावा इसरो ने 2040 में चांद पर भारतीयों के कदम रखने की योजना बनाई है। इससे पहले 2031 में चंद्रमा पर एक ह्यूमनॉइड मिशन भेजा जाएगा। 2024-35 के बीच मानव को चंद्रमा की कक्षा में घुमाकर वापस लाया जाएगा। 2037-38 में इसरो चंद्रमा की सतह पर भारतीय रोबोटिक बामनॉइड को उतारने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए इसरो "शुक्रयान" भी लॉन्च करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने आगामी मिशनों के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है। 2026-27 में, इसरो चंद्रयान-4 मिशन लॉन्च करेगा, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से सैंपल (संग्रहण/वापसी) लाना है। इसके बाद चंद्रयान-5 मिशन लुपेक्स कहलाएगा, जिसे जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा के साथ मिलकर संचालित किया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना
2035 तक भारत में एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना है। इस परियोजना के तहत 2028 में इसका पहला मॉड्यूल अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसी दौरान स्वदेशी स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पादैक्स) का प्रदर्शन भी किया जाएगा, जिसमें अंतरिक्ष में घूमते दो स्पेसक्राफ्ट को आपस में जोड़ा जाएगा।
रोबोटिक ह्यूमनॉइड और शुक्र ग्रह मिशन
2037-38 में इसरो चंद्रमा की सतह पर एक भारतीय रोबोटिक ह्यूमनॉइड उतारेगा और शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए "शुक्रयान" मिशन भी भेजेगा। 2040 में इसरो ने चंद्रमा पर भारतीयों के कदम रखने की योजना बनाई है। इससे पहले 2031 में एक ह्यूमनॉइड मिशन चंद्रमा पर भेजा जाएगा और 2024-35 के बीच मानव को चंद्रमा की कक्षा में घुमाकर वापस लाया जाएगा।
सैटेलाइट लॉन्च की योजनाएं
अगले साल इसरो 6 सैटेलाइट लॉन्च करेगा, जिसमें नेवी के लिए जीसैट-7आर, आर्मी के लिए जीसैट-7बी, ब्रॉडबैंड और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी के लिए जीसैट-एन2 और विभिन्न क्षेत्रों जैसे डिफेंस, पैरामिलिट्री, रेलवे और फिशरीज के लिए जीसैट-एन3 शामिल होंगे। साथ ही गगनयान के साथ कनेक्टिविटी बनाए रखने के लिए भी दो सैटेलाइट भेजे जाएंगे। इसके अलावा 6 निगरानी उपग्रह भी लॉन्च होंगे।
जी-20 सैटेलाइट और नासा के साथ संयुक्त मिशन
इसरो पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन के लिए "जी-20" नाम से सैटेलाइट लॉन्च करेगा, जिसमें सभी जी-20 सदस्य देशों के पेलोड शामिल होंगे। नासा के साथ संयुक्त मिशन "निसार" भी अगले कुछ महीनों में लॉन्च होगा। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में सैटेलाइट पेलोड पहुंच चुका है और लॉन्चिंग रॉकेट के निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इसके अलावा इसरो का अगला अंतरराष्ट्रीय मिशन "तृष्णा" होगा, जो फ्रांसीसी एजेंसी सीएनईएस के साथ मिलकर होगा।