Edited By Anu Malhotra,Updated: 15 Nov, 2024 05:21 PM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर अपनी दक्षता का परिचय देते हुए चंद्रयान-2 को संभावित टकराव से बचा लिया है। हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-2 और कोरियाई पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (केपीएलओ) के बीच टकराव...
नेशनल डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर अपनी दक्षता (efficiency) का परिचय देते हुए चंद्रयान-2 को संभावित टकराव से बचा लिया है। हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-2 और कोरियाई पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (केपीएलओ) के बीच टकराव का खतरा था लेकिन इसरो ने समय पर कार्रवाई करते हुए यह बड़ा हादसा टाल दिया।
ऑपरेशन के जरिए टाली गई टक्कर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना 1 अक्टूबर के आसपास होने की आशंका थी। इसे टालने के लिए इसरो ने 19 सितंबर को चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के संचालन में जरूरी बदलाव किए। वहीं, कोरियाई ऑर्बिटर OM-87 की कक्षा में परिवर्तन कर उसकी चंद्रमा से निकटतम दूरी को बढ़ा दिया गया। इससे दोनों मिशन सुरक्षित रहे और टक्कर का खतरा टल गया।
क्यों था यह ऑपरेशन अहम?
चंद्रमा की कक्षाओं में बढ़ती गतिविधियों और भीड़-भाड़ के कारण ऐसे टकराव की संभावना बढ़ती जा रही है। इसरो की सितंबर 2024 की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रयान-2 और केपीएलओ के बीच यह संभावित टकराव एक गंभीर स्थिति पैदा कर सकता था। हालांकि, इसरो की सटीक रणनीति और त्वरित कार्रवाई से यह खतरा समय रहते टाल दिया गया।
दोनों मिशन सुरक्षित
इसरो ने पुष्टि की है कि चंद्रयान-2 और कोरियाई पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर दोनों अब पूरी तरह से सुरक्षित हैं और अपने-अपने अनुसंधान कार्यों को जारी रखे हुए हैं। चंद्रयान-2, जिसे 2019 में लॉन्च किया गया था, चंद्रमा की सतह की संरचना और जल-बर्फ के संभावित जमाव का अध्ययन कर रहा है।
इसरो की वैश्विक सराहना
यह घटना इसरो की क्षमता और अंतरिक्ष मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उसके विशेष कौशल को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसरो की यह सफलता न केवल भारत बल्कि पूरे अंतरिक्ष समुदाय के लिए एक प्रेरणा है।