SpaDeX : इतिहास रचने के करीब ISRO, 3 मीटर की दूरी पर पहुंचे दोनों उपग्रह, डॉकिंग के लिए तैयार

Edited By Rohini,Updated: 12 Jan, 2025 08:33 AM

isro close to creating history both satellites reached a distance of 3 meters

भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन के साथ इतिहास रचने जा रहा है। इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट अब ऑर्बिट में सिर्फ 15 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। पहले 7 जनवरी को इन सैटेलाइट्स के डॉकिंग की योजना थी...

नेशनल डेस्क। भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन के साथ इतिहास रचने जा रहा है। इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट अब ऑर्बिट में सिर्फ 15 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। पहले 7 जनवरी को इन सैटेलाइट्स के डॉकिंग की योजना थी लेकिन तकनीकी कारणों से इसे 9 जनवरी तक स्थगित कर दिया गया था। अब इस मिशन के सफल होने पर भारत का अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा।

मिशन का उद्देश्य

स्पेस डॉकिंग तकनीक का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट्स को एक दूसरे से जोड़ना (डॉकिंग) है। इस तकनीक से भविष्य में ऑर्बिट में सैटेलाइट्स की सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग करना संभव हो सकेगा जो अंतरिक्ष मिशनों को और अधिक प्रभावी बनाएगा। इस मिशन में एक सैटेलाइट दूसरे सैटेलाइट को पकड़कर डॉक करेगा। इस सफलता से भारत के भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों को एक नई दिशा मिलेगी।

मिशन का महत्व

इस मिशन के द्वारा भारत स्पेस डॉकिंग तकनीक में दुनिया का चौथा देश बन गया है। स्पेस डॉकिंग की प्रक्रिया में जब चेजर और टारगेट सैटेलाइट्स के बीच की दूरी 3 मीटर हो जाएगी तब डॉकिंग प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद इलेक्ट्रिकल पावर का ट्रांसफर किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया भारत की ग्राउंड स्टेशनों से कंट्रोल की जाएगी।

चंद्रयान-4 के लिए महत्वपूर्ण

स्पेडेक्स मिशन की सफलता भारत के भविष्य के मिशनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी खासकर चंद्रयान-4 मिशन के लिए। चंद्रयान-4 मिशन में भी इसी डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके जरिए भारत अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगा। यह मिशन सैटेलाइट सर्विसिंग, अंतर-ग्रह मिशन और चंद्रमा पर मानव भेजने के लिए बेहद जरूरी साबित होगा।

मिशन की शुरुआत

स्पेडेक्स मिशन को 30 दिसंबर 2024 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C60 रॉकेट के जरिए सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इस मिशन में दो छोटे उपग्रह शामिल हैं जिनका वजन लगभग 220 किलोग्राम है।

भविष्य के लिए बड़ी उम्मीदें

इस मिशन की सफलता ISRO के लिए एक बहुत बड़ा कदम है, क्योंकि इससे आने वाले अंतरिक्ष कार्यक्रमों में मदद मिलेगी। इसके माध्यम से ISRO को अंतरिक्ष डॉकिंग, सैटेलाइट सर्विसिंग और भविष्य के अंतर-ग्रह मिशनों में नई तकनीकी जानकारी मिलेगी।

बता दें कि इसरो का यह मिशन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति और मिशनों को नई दिशा मिलेगी।

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