Edited By Pardeep,Updated: 31 Dec, 2024 06:19 AM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है और अंतरिक्ष तकनीकी के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। श्रीहरिकोटा से PSLV-C60 रॉकेट द्वारा दो छोटे स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए गए, जो ISRO के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित...
नेशनल डेस्कः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है और अंतरिक्ष तकनीकी के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। श्रीहरिकोटा से PSLV-C60 रॉकेट द्वारा दो छोटे स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए गए, जो ISRO के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुए हैं। यह पहली बार है जब ISRO ने पृथ्वी से 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर दो स्पेसक्राफ्ट के बीच डॉकिंग और अनडॉकिंग का प्रयोग किया। इन दोनों स्पेसक्राफ्ट को बहुत तेज गति से अंतरिक्ष में जोड़ने और फिर अलग करने का काम किया गया।
इस सफल प्रयोग के बाद भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के साथ स्पेस डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक में शामिल हो गया है। ISRO का यह मिशन "स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट" (SpaDex) के नाम से जाना जाता है और इस सफलता ने भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख स्थान दिलाया है। इसके साथ ही ISRO ने इस डॉकिंग सिस्टम का पेटेंट भी हासिल किया है, क्योंकि आमतौर पर दुनिया के प्रमुख अंतरिक्ष संस्थान इस तकनीक के बारें में अधिक जानकारी साझा नहीं करते। ऐसे में ISRO को अपनी खुद की डॉकिंग प्रणाली विकसित करनी पड़ी।
PSLV-C60 रॉकेट से लॉन्च
SpaDex मिशन में दो स्पेसक्राफ्ट शामिल थे, जिनका नाम "टारगेट" (लक्ष्य) और "चेजर" (पीछा करने वाला) रखा गया। इन दोनों का वजन 220 किलोग्राम है। PSLV-C60 रॉकेट ने इन दोनों स्पेसक्राफ्ट को 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष में भेजा। इसके बाद इन दोनों स्पेसक्राफ्ट ने अलग-अलग दिशाओं में उड़ान भरी, और फिर एक-दूसरे के साथ डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया पूरी की।
यह मिशन केवल एक तकनीकी सफलता ही नहीं है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की महत्वाकांक्षाओं के लिए एक बड़ा कदम भी है। इस तकनीक का उपयोग भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और चंद्रयान-4 जैसे मिशनों के लिए भी किया जाएगा। ISRO का लक्ष्य अब एक स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का है, और इसके लिए डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक बेहद महत्वपूर्ण है।
चंद्रयान-4 के लिए महत्वपूर्ण
SpaDex मिशन की सफलता भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान-4 के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। चंद्रयान-4 मिशन में डॉकिंग और अनडॉकिंग की इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। ISRO के मुताबिक, चंद्रयान-4 की सफलता SpaDex के परिणामों पर निर्भर करेगी, क्योंकि यह मिशन एक बहु-चरणीय प्रक्रिया के तहत लॉन्च किया जाएगा। इस तकनीक की मदद से ISRO अंतरिक्ष में अधिक जटिल ऑपरेशंस, जैसे कि स्पेस स्टेशन के निर्माण, सैटेलाइट सर्विसिंग, इंटरप्लेनेटरी मिशन, और मानव मिशन के लिए तैयार होगा।
इसके अलावा, जब अंतरिक्ष मिशन के विभिन्न चरणों में एक साथ कई उपग्रहों या स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करना होता है, तो इस डॉकिंग तकनीक की अहम भूमिका होती है। उदाहरण के लिए, यदि भविष्य में इंसान को चंद्रमा पर भेजने के लिए मिशन की योजना बनाई जाती है, तो इस तकनीक से बड़े अंतरिक्ष यान को डॉक और अनडॉक करना संभव होगा।
भारत का भविष्य: अंतरिक्ष में बड़ी योजनाएं
SpaDex मिशन की सफलता के बाद ISRO का विश्वास और भी बढ़ा है, और यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के भविष्य के लिए एक मजबूत आधार बनाता है। भविष्य में, ISRO का ध्यान अपने खुद के अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना पर होगा, और SpaDex जैसी तकनीकों का उपयोग इस दिशा में मददगार साबित होगा। इसके अलावा, यह मिशन भारत के इंटरप्लेनेटरी मिशन, जैसे कि मंगल और शुक्र ग्रह पर होने वाले अभियानों के लिए भी मार्गदर्शन करेगा।