ISRO ने सेमीक्रायोजेनिक इंजन परीक्षण में रचा इतिहास, अंतरिक्ष अभियान को मिलेगी नई रफ्तार

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 29 Mar, 2025 01:25 PM

isro creates history in semicryogenic engine testing

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने हाल ही में 2000 kN सेमीक्रायोजेनिक इंजन के मध्यवर्ती विन्यास का सफल हॉट टेस्ट किया है। यह सफलता भारत के अंतरिक्ष अभियानों को और अधिक उन्नत...

नेशनल डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने हाल ही में 2000 kN सेमीक्रायोजेनिक इंजन के मध्यवर्ती विन्यास का सफल हॉट टेस्ट किया है। यह सफलता भारत के अंतरिक्ष अभियानों को और अधिक उन्नत और आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।

क्या है सेमीक्रायोजेनिक इंजन?

सेमीक्रायोजेनिक इंजन एक विशेष प्रकार का इंजन होता है जो तरल ऑक्सीजन (Liquid Oxygen - LOX) और केरोसिन (Kerosene) ईंधन पर आधारित होता है। यह पारंपरिक क्रायोजेनिक इंजन से अलग है जो हाइड्रोजन का उपयोग करता है। सेमीक्रायोजेनिक इंजन अधिक कुशल, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल होता है।

2000 kN सेमीक्रायोजेनिक इंजन का हॉट टेस्ट क्या है?

इसरो ने महेंद्रगिरि (तमिलनाडु) स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (IPRC) में 2000 kN क्षमता वाले सेमीक्रायोजेनिक इंजन के मध्यवर्ती विन्यास का सफल हॉट टेस्ट किया। हॉट टेस्ट का मतलब है कि इंजन को वास्तविक परिस्थितियों में परखा गया और उसकी कार्यक्षमता जांची गई।

इस परीक्षण का महत्व

इस इंजन की सफलता भविष्य में इसरो के विभिन्न अभियानों को गति देगी। विशेष रूप से गगनयान मिशन, चंद्रयान-4, अग्निबाण रॉकेट मिशन और सस्टेनेबल स्पेस टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में इस इंजन का उपयोग किया जा सकता है।

 

 

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