ISRO लंबी छलांग को तैयार: स्पैडेक्स की लाॅन्चिंग आज, भारत अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों की ओर

Edited By Rahul Rana,Updated: 30 Dec, 2024 09:24 AM

isro ready for a big leap launch of spadex today

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और लंबी छलांग लगाने को तैयार है। आज रात 9:58 बजे इसरो श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) लॉन्च करेगा। इस मिशन की सफलता के बाद भारत...

नेशनल डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और लंबी छलांग लगाने को तैयार है। आज रात 9:58 बजे इसरो श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) लॉन्च करेगा। इस मिशन की सफलता के बाद भारत दुनिया के चुनिंदा देशों अमेरिका, रूस और चीन के विशेष क्लब में शामिल हो जाएगा। यह मिशन पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा।

भारत बनेगा चुनिंदा देशों का हिस्सा

स्पैडेक्स मिशन के सफल होने के बाद भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ने (डॉकिंग) और अलग करने (अनडॉकिंग) की क्षमता है। अब तक यह तकनीक केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास थी।

स्पैडेक्स का उद्देश्य

इसरो का यह मिशन अंतरिक्ष में दो यानों को डॉक और अनडॉक करने की तकनीक विकसित और प्रदर्शित करने के लिए है। यह मिशन भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ानों और अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण के लिए बेहद अहम होगा। साथ ही यह उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने और मलबा हटाने जैसे कार्यों में मदद करेगा।

डॉकिंग कैसे होगी?

1. कक्षा में प्रक्षेपण:

दोनों अंतरिक्ष यान को 470 किमी ऊंची वृत्ताकार कक्षा में छोड़ा जाएगा।

2. पहला चरण:

प्रक्षेपण के बाद दोनों यान करीब 20 किमी की दूरी पर होंगे।

3. धीरे-धीरे नजदीकी:

एक यान (चेजर) दूसरे यान (टारगेट) का पीछा करेगा और दोनों यानों के बीच की दूरी को कम करेगा। यह प्रक्रिया 24 घंटे में पूरी होगी।

4. डॉकिंग:

यान धीरे-धीरे 15 मीटर और फिर 3 मीटर तक आएंगे जहां वे जुड़ जाएंगे।

5. अनडॉकिंग:

जुड़ने के बाद पेलोड के संचालन के लिए पावर ट्रांसफर का प्रदर्शन किया जाएगा जिसके बाद दोनों यान अलग हो जाएंगे।

मिशन के फायदे

: भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन की योजना को गति मिलेगी।
: भविष्य की मानव अंतरिक्ष उड़ानों जैसे चंद्रयान-4 के लिए आधार तैयार होगा।
: उपग्रह की मरम्मत और ईंधन भरने जैसे जटिल कार्य संभव होंगे।
: अंतरिक्ष में मलबा हटाने की तकनीक विकसित की जाएगी।

इस साल का आखिरी मिशन

स्पैडेक्स इसरो का इस साल का आखिरी मिशन है। इसकी सफलता भारत को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और मजबूत बनाएगी। देशभर में इस मिशन को लेकर उत्साह और उम्मीद का माहौल है।

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