स्पेस में ISRO की धमाकेदार बैटिंग, डॉकिंग-अनडॉकिंग के बाद मारा 'सिक्स'

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 28 Mar, 2025 09:27 AM

isro s explosive batting in space hit a six after docking undocking

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने हाल ही में एक और बड़ी सफलता प्राप्त की है। इसरो ने अपने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (SpaDex) के तहत दो सैटेलाइट्स में से एक को चारों ओर घुमाने के बाद उसे फिर से अपनी पहले वाली पोजीशन पर वापस लौटा लिया। इस प्रक्रिया को...

नेशनल डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने हाल ही में एक और बड़ी सफलता प्राप्त की है। इसरो ने अपने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (SpaDex) के तहत दो सैटेलाइट्स में से एक को चारों ओर घुमाने के बाद उसे फिर से अपनी पहले वाली पोजीशन पर वापस लौटा लिया। इस प्रक्रिया को रोलिंग या रोटेटिंग प्रयोग कहा जा रहा है। यह परीक्षण 13 मार्च को सैटेलाइट्स के अलग होने (अनडॉकिंग) के बाद किया गया था। इस सफलता की तुलना चंद्रयान-3 के 'हॉप' प्रयोग से की जा रही है क्योंकि यह भी भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।

सैटेलाइट में बचा हुआ है पर्याप्त ईंधन

इसरो के प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि यह परीक्षण पिछले हफ्ते सफलतापूर्वक पूरा हुआ। उन्होंने बताया कि सैटेलाइट्स में अभी काफी ईंधन बचा हुआ है इसलिए टीम को निर्देश दिया गया है कि सभी प्रयोगों को पहले ज़मीन पर सिमुलेशन के जरिए अच्छे से परखा जाए ताकि कोई भी गलती न हो और अधिकतम डेटा प्राप्त किया जा सके।

 

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आसान शब्दों में समझिए

अगर हम इसे आसान भाषा में समझें तो मान लीजिए कि आप और आपका दोस्त दिल्ली की किसी दुकान के बाहर खड़े हैं। जब आप एक-दूसरे से मिलते हैं और गले लगते हैं तो इसे डॉकिंग कहते हैं। फिर आपका दोस्त कुछ कदम पीछे हटता है लेकिन आपकी नजरों के सामने ही रहता है इसे अनडॉकिंग कहते हैं। अब वह दोस्त अपनी जगह पर घूमकर वापस आ जाता है या चारों ओर घूमकर अपनी पुरानी पोजीशन पर लौट आता है। इसरो ने भी कुछ इसी तरह का प्रयोग किया है जिसमें उसने एक सैटेलाइट को चारों ओर घुमाकर फिर से अपनी पुरानी जगह पर वापस लाया।

 

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इस प्रयोग का उद्देश्य

इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य यह था कि यह परीक्षण किया जा सके कि इसरो जमीन से सैटेलाइट की स्थिति और गति को कितनी सटीकता से नियंत्रित कर सकता है। इसके लिए अलग-अलग सॉफ़्टवेयर, सेंसर और पोजिशनिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि सैटेलाइट ने यह रोटेशन क्षैतिज (होरिजेंटल) किया था या लंबवत (जैसे कलाबाजी करते हुए)।

चंद्रयान-4 में मिलेगी मदद

इस तकनीक को समझना इसरो के लिए बहुत अहम है क्योंकि इसे भविष्य में कई बड़े मिशनों में इस्तेमाल किया जाएगा। खासकर चंद्रयान-4 के नमूना वापसी मिशन और गगनयान के मानव अंतरिक्ष उड़ान अभियानों में यह तकनीक बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। इसरो को विभिन्न परिस्थितियों में डॉकिंग करनी होगी जिसके लिए SpaDex मिशन के तहत और भी प्रयोग किए जाएंगे। इसरो अगले महीने एक और डॉकिंग परीक्षण करने की योजना बना रहा है।

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